भिक्षु अभिनिष्क्रमण दिवस पर िवभिन्न आयोजन
मुनि जिनेश कुमार जी ठाणा-3 के सान्निध्य में स्थानीय तेरापंथ भवन में 265 वां भिक्षु अभिनिष्क्रमण दिवस समारोह पूर्वक श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा (कलकता पूर्वांचल) ट्रस्ट द्वारा आयोजित किया गया। इस अवसर पर उपस्थित धर्म सभा को संबोधित करते हुए मुनि जिनेशकुमार जी ने कहा जैन धर्म का धार्मिक संगठन है- तेरापंथ। तेरापंथ के संस्थापक आचार्य भिक्षु एक सत्य-संधायक एवं सिद्धान्त निष्ठ आचार्य थे। उनका जीवन अनुत्तर था। वे मारवाड़ के धोरी, अलबेले योगी व सिद्ध पुरुष थे। वे प्रकृति से सहज, सरल और विनम्र थे।
आचार्य भिक्षु मारवाड़ के कंटालिया में जन्में, बगड़ी में संयम स्वीकार किया और बगड़ी में ही उन्होंने अपने गुरु रघुनाथ जी से सत्य के खातिर अभिनिष्क्रमण किया। पांच वर्ष तक पूरा आहार नहीं मिला अनेक कष्टों को सहन किया, अभाव में जीए, फिर भी सत्य साधना में मजबूती थी। मुनिश्री ने आगे कहा- आचार्य भिक्षु की वाणी कबीर की तरह चोट करने वाली थी। वे प्रारंभ से ही नैसर्गिक प्रतिभा के धनी थे, मनोवैज्ञानिक थे। साध्वाचार में सजग थे। उनके जीवन में श्रम की मसाल अंत तक जलती रही। आज रामनवमी भी है भगवान राम आदर्श पुरुष थे। उनके जीवन में सहजता, सरलता थी। मुनि कुणालकुमार जी के गीत से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। तेरापंथ सभा के अध्यक्ष हनुमान माल दुगड़, तेरापंथ महासभा के पूर्व अध्यक्ष राजकरण सिरोहिया, तेरापंथ सभा कोलकाता के अध्यक्ष अजय भंसाली वरिष्ठ उपासक सुरेन्द्र सेठिया ने अपने भावों की प्रस्तुति दी। संचालन मुनि परमानंद जी ने किया।