पौध को सींचे कार्यशाला का आयोजन
अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल के तत्वाधान में तेरापंथ महिला मंडल जसोल द्वारा मुनि हर्षलालजी आदि ठाणा 3 के सान्निध्य में सरक्षिका फेनादेवी भंसाली की अध्यक्षता में ‘पौध को सींचे’ कार्यशाला का आयोजन किया गया। मुनिश्री द्वारा नमस्कार महामंत्र के उच्चारण से कार्यशाला का शुभारंभ किया गया। महिला मंडल द्वारा प्रेरणा गीत से मंगलाचरण किया गया। संरक्षिका फेनादेवी भंसाली ने अध्यक्षता करते हुए आए हुए मुख्य वक्ता अमृतलाल बुरड़ का स्वागत करते हुए बताया कि अमृतलाल बुरड़ नवकार विद्या मंदिर बालोतरा के वाइस प्रिंसिपल के रूप में सेवाएं दे रहे हैं। मुख्य वक्ता अमृतलाल बुरड़ ने कहा कि बच्चा एक पौधे की तरह होता है। जैसे एक पौधे को बड़ा करने के लिए समय-समय पर हवा, पानी, अच्छी खाद और देख-रेख की आवश्यकता होती है वैसे ही एक बच्चे को भी माता-पिता के प्यार, दुलार, केयर की जरूरत पड़ती है। पिता से ज्यादा मां की ज्यादा सार संभाल की जिम्मेदारी होती है। परीक्षा के समय बच्चे से ज्यादा मां टेंशन लेती है। ऐसे समय में माता टेंशन न लेते हुए खुद का खयाल रखे, स्ट्रेस न ले, बच्चे को ज्यादा पढ़ाई का प्रेशर न दे, जो बच्चे को सरल लगे वो अच्छे से पढ़े, दूसरे बच्चे से ज्यादा नंबर लाने के लिए जोर न दे, तुलना ना करे। खाने, पीने एवं पूरी नींद का, स्वास्थ्य का ध्यान रखे।
मुनि यशवंत कुमारजी ने सबसे पहले स्मृति विकास के लिए ‘महाप्राण ध्वनि’ का प्रयोग करवाया। तत्पश्चात एक कहानी के माध्यम से समझाया कि हमें एक बच्चे की तरह सोचकर उसके नजरिए को समझना चाहिए। बच्चे को विषय उदाहरण से, प्रयोगों से सिखाएं। समझकर सीखा ज्ञान ज्यादा अच्छे से टिकता है। बच्चे पर किसी भी बात का ज्यादा जोर ना डाले। उसका मन कोमल होता है, माता-पिता की सोच के अनुसार खरे न उतरने पर कई गलत कदम उठा लेते हैं। इसलिए अपने बच्चे के साथ एक दोस्त बनकर, तनाव रहित होकर, खुश रहे। नकारात्मक सोच को हावी न होने दें, प्रसन्न रहें, पॉजिटिव रहें। उनकी कमियों को छोड़ कर विशेषताओं को बताकर आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करें। कार्यशाला का संचालन मंत्री अरुणा डोसी ने किया। आभार ज्ञापन पूर्व मंत्री ममता मेहता ने किया।