स्वास्थ्य प्रबंधन कार्यशाला ‘आरोग्य’ का भव्य आयोजन

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स्वास्थ्य प्रबंधन कार्यशाला ‘आरोग्य’ का भव्य आयोजन

अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद के तत्त्वावधान में युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि जिनेशकुमार जी ठाणा 3 के सान्निध्य में स्वास्थ्य प्रबंधन कार्यशाला ‘आरोग्य’ का भव्य आयोजन विधान गार्डन में तेरापंथ युवक परिषद् पूर्वांचल कोलकाता द्वारा किया गया। इस अवसर पर महाप्रज्ञ मेडिकल्स के उद्‌घाटनकर्ता महासभा एवं जै.वि.भा. के पूर्व अध्यक्ष सुरेन्द्र चोरड़िया, मुख्य अतिथि नगराज बरमेचा, अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष रमेश डागा, कोषाध्यक्ष नरेश सोनी आदि अनेक गणमान्य व्यक्ति विशेष रूप से उपस्थित थे। मुनि जिनेशकुमार जी ने कहा- प्रत्येक व्यक्ति स्वस्थ जीवन जीना चाहता है। इसलिए सात सुखों की परिकल्पना में स्वस्थता को प्रथम स्थान पर पहला सुख निरोगी काया के रूप में स्थापित किया गया है।
आरोग्य अनमोल है। रोग बाजार में आसानी से मिल सकता है, हॉस्पिटलों व डॉक्टरों की भी कोई कमी नहीं है, दवाईयां भी बड़ी मात्रा में मिल सकती है। आरोग्य ही एक ऐसा है जो लाख प्रयत्न करने के बावजूद भी मिलना मुश्किल है। जगत में यह कैसी विडम्बना है कि व्यक्ति पहले धन प्राप्त करने के लिए आरोग्य को खर्च कर देता है और फिर आरोग्य प्राप्त करने के लिए धन खर्च करता है। रोग हमारे घर में नहीं घुसे इसके लिए जागरूक होना जरूरी है और जीवन शैली में बदलाव लाना आवश्यक है। आरोग्य का आगमन एवं पुनरागमन लक्ष्मी के आगमन से भी अधिक महत्त्वपूर्ण है। आरोग्य सिर्फ तन के साथ जुड़ा हुआ नहीं है यह मन और भाव से भी जुड़ा हुआ है। सात्विक आहार सम्यक् श्रम, सकारात्मक सोच, तनाव मुक्ति, व्यवस्थित दिनचर्या, इन्द्रिय विषयों से अनासक्ति, शांत, सत्यनिष्ठ, क्षमावान, प्रभु भक्ति में लीनता आदि के माध्यम से व्यक्ति आरोग्य को प्राप्त हो सकता है। मुनिश्री ने आगे कहा- भोजन के साथ तीन चीजें जुड़ी हुई हैं। उदरपूर्ति के लिए खाना प्रकृति है, जीभ तुष्टि के लिए खाना विकृति है और संयम पुष्टि के लिए खाना संस्कृति है। अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद के तत्त्वावधान में आयोजित यह कार्यशाला पूर्वांचल ते.यु.प. के परिश्रम का परिणाम है।
इस अवसर पर मुनि परमानंद जी ने कहा रोग हो ऐसा खाओ मत, कलह हो ऐसा बोलो मत, कर्ज हो ऐसा खर्चो मत, पाप हो ऐसा करो मत- ये चार सूत्र जीवन के आरोग्य के लिए महत्त्वपूर्ण है। बाल मुनि कुणालकुमार जी ने सुमधुर गीत का संगान किया। कार्यक्रम का शुभारंभ पूर्वांचल स्वरलही के सदस्यों द्वारा विजयगीत के संगान से हुआ। दो चरणों में आयोजित कार्यक्रम में दूसरा चरण एटीडीसी के पांच वर्ष की सम्पन्नता एवं आचार्य महाप्रज्ञ मेडिकल्स के उद्‌घाटन से सम्बधित सम्मान एवं अभिनंदन उपक्रम को समर्पित रहा। दूसरे चरण में स्वागत भाषण ते.यु.प. पूर्वांचल के अध्यक्ष संदीप सेठिया ने दिया। अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष रमेश डागा ने युवाओं में जोश भरते हुए पूर्वांचल ते.यु.प. के कार्यों की सराहना की।