आचार्यश्री महाप्रज्ञजी के 15 वें महाप्रयाण दिवस पर िवभिन्न आयोजन
आचार्य श्री महाप्रज्ञजी के जीवन ग्रन्थ को जब हम पढ़ते हैं तो हमें लगता है कि वे सब कुछ होते हुए भी एक पहुंचे हुए योगी थे। ज्ञान योग, भक्ति योग और कर्म योग का उनके जीवन में अद्भुत संगम था। सौभाग्य से दीक्षा लेते ही परमपूज्य कालूगणी ने उनको मुनि तुलसी के संरक्षण में रख दिया। मुनि तुलसी ने उनके जीवन निर्माण में अनुशासन और वात्सल्य दोनों का प्रयोग किया। उसी का परिणाम था कि कुछ ही समय में महाप्रज्ञ ने तत्कालीन विद्यार्थियों में अपना पहला स्थान बना लिया। उपरोक्त विचार 'शासनश्री' मुनि विजयकुमार जी ने आचार्य महाप्रज्ञ जी के महाप्रयाण दिवस कार्यक्रम में व्यक्त किये।
मुनिश्री ने आगे कहा– आचारांग का भाष्य लिखकर महाप्रज्ञ ने भाष्यकारों की श्रेणी में अपने आप को प्रतिष्ठित कर लिया। ज्ञान का कोई ऐसा क्षेत्र नहीं रहा जो महाप्रज्ञ से अज्ञात रहा हो। महाप्रज्ञ का भक्ति योग भी अनुपम था। गुरुदेव तुलसी ने उनको आचार्य घोषित कर दिया तो भी वे एक सामान्य साधु की तरह उनको वंदन करते थे। वे हर क्षेत्र में शिखर तक पहुँच चुके थे फिर भी उन्हें इसका तनिक भी अभिमान नहीं था। कर्म योग की दृष्टि से देखें तो उनके जीवन में पुरुषार्थ की प्रधानता थी। समय का वे बड़ा सदुपयोग करते थे। उनकी दिनचर्या बहुत व्यवस्थित थी। उनके अवदानों की लम्बी श्रृंखला है। उसकी चर्चा सीमित शब्दों में करना संभव नहीं है। उस महापुरुष ने सरदारशहर की धरती पर आज ही के दिन अपनी स्थूल देह का उत्सर्ग कर दिया किन्तु उनका यशः शरीर सदा जीवित रहेगा। मुनिश्री ने आचार्य महाप्रज्ञ की अभ्यर्थना में गीत का संगान किया और प्रेरणा दी कि हर व्यक्ति कुछ समय के लिए ध्यान लगाये व 'ओम् श्री महाप्रज्ञ गुरवे नमः' मंत्र का जप करें। स्थानीय तेरापंथ महिला मण्डल के मंगलाचरण से कार्यक्रम प्रारम्भ हुआ। तेरापंथी महासभा के अध्यक्ष मनसुखलाल सेठिया, महामंत्री विनोद बैद, बाबूलाल बोथरा, सिद्धार्थ चिण्डालिया, दीपक पींचा, संजय बोथरा, महेन्द्र नाहटा, स्थानीय विधायक अनिल शर्मा, समीर वकीलवाला, प्रकाश डाकलिया, पारस बुच्चा, सपना लूणिया आदि ने आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी की अभ्यर्थना में अपनी प्रस्तुति दी। स्थानीय ज्ञानशाला के बच्चों ने 'महाप्रज्ञ का अवदान-प्रेक्षाध्यान' विषय पर रोचक नाटक की प्रस्तुति दी। रात्रि में आयोजित धम्म जागरण में पिंटू स्वामी, डाकलिया बंधु, अभिलाषा बांठिया, आर. के. राजू सुराणा आदि ने अपने गीतों से प्रेक्षा प्रणेता आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी को श्रद्धा सुमन अर्पित किए।