तीन चीजें बाजार में नहीं, गुरु सन्निधि में मिलती है

तीन चीजें बाजार में नहीं, गुरु सन्निधि में मिलती है

स्वामी रामतीर्थ जीवन व मृत्यु के झूले में झूल रहे थे। शिष्यमंडली गुरु सेवा में अहर्निश लगी हुयी थी, तभी कुटिया के बाहर एक बुढ़िया स्वामी रामतीर्थ से सेवा पाने की इच्छुक बनकर करूण पुकार करने लगी। रामतीर्थ के कर्ण युगल ने जैसे ही बुढ़िया के करूणार्द्र स्वरों को सुना, तत्काल शैय्या से उठ खड़े हुए। शिष्यों ने निवेदन किया- प्रभो! आप स्वयं बीमार हैं, आप ये क्या कर रहे हैं? रामतीर्थ ने कहा- शिष्यों! मेरी जिन्दगी का अंतिम क्षण भी किसी की सेवा में लगता है तो इससे बढ़कर मेरा और क्या सौभाग्य होगा।
तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशम् अधिशास्ता आचार्य श्री महाश्रमणजी का पूरा जीवन भी स्वामी रामतीर्थ की तरह ही करूणा व संवेदना से ओत-प्रोत है। जैन हो या अजैन, साधु हो या साध्वी, श्रावक हो या श्राविका, कोई भी पीड़ित हो तो आपश्री का करूणार्द्र ह्रदय द्रवित हो जाता है। पीड़ितों को दर्शन देने के लिए स्वतः ही चरण गतिमान हो जाते हैं चाहे फिर उसके लिए 4-5 किमी का चक्कर भी लेना पड़े।
मुम्बई मर्यादा महोत्सव के अवसर पर एक साध्वीजी का नीचे गिरने से फ्रेक्चर हो गया। जैसे ही पूज्य प्रवर को इसकी सूचना मिली गुरुदेव अविलम्ब दर्शन देने के लिए प्रस्थान करने लगे। यह है आपश्री की सेवा परायणता। सन् 2021 का हमारा चतुर्मास तेरापंथ धर्मसंघ के सप्तमाचार्य आचार्य डालगणी की जन्मस्थली उज्जैन में हुआ। ठाट-बाट से तेरापंथ भवन में प्रवेश हुआ, कार्यक्रम भी शानदार रहा पर जैसे ही कार्यक्रम सम्पन्न हुआ साध्वी शान्तिलताजी को बुखार आ गया। थोड़ी देर बाद मेरे असाता होने लगी, फिर साध्वी पूनमप्रभाजी व साध्वी श्रेष्ठप्रभाजी को भी कठिनाई हुयी।
चारों ऐसे अस्वस्थ हुए कि दो दिन तक नांगले-झोलके भी व्यवस्थित नहीं रख पाए। उपचार करने पर तीन साध्वियां तो स्वस्थ हो गई पर मुझ पर दवाई का कोई असर नहीं हो रहा था।
आखिर पूज्यप्रवर एवं साध्वीप्रमुखा श्री कनकप्रभाजी को वस्तुस्थिति की पूरी जानकारी निवेदन करवाई। पूज्यप्रवर व शासनमाता का संदेश प्राप्त हुआ। पूज्यप्रवर ने फरमाया कि जैसे ही तुम्हारा संदेश मिला मैंने साध्वी वर्या को इंगित कर मंगलपाठ आदि का समुच्चारण कर दिया है। मनोबल रखना चाहिए और परम पूज्य डालगणी की सात माला रोज यथासंभव प्रातराश से पहले-पहले जप लेनी चाहिए।
सात माला पूरी होने के बाद यह बोल देना चाहिए ‘परम पूज्य गुरुदेव डालगणी प्रवर! हम तो आचार्य प्रवर के निर्देश से उज्जैन में चातुर्मास कर रहे हैं तो हमें यहां कठिनाई क्यों हो रही है? आप ध्यान दिरायें।‘ सब साध्वियां स्वास्थ्य का ध्यान रखें, अच्छी साधना करें। यह है आचार्य प्रवर की करूणा, आत्मीयता व वत्सलता। पूज्यप्रवर ने सभी में ऐसा आत्मविश्वास जगाया कि चन्द दिनों में ही मैं पूर्ण स्वस्थ हो गई।
कहा गया कि तीन चीजें बाजार में नहीं मिलती। कॉफिडेन्स (आत्मविश्वास), करेज (साहस) व केरेक्टर (चरित्र), ये मिलती हैं अध्यात्म व गुरु सन्निधि रूपी बाजार में। प्रभो! मैं आपकी श्रम निष्ठा को नमस्कार करती हूं, आपकी आचार निष्ठा को शत्-शत् प्रणाम करती हूं, दीक्षा की इस अर्धसदी पर प्रभो! मैं आपकी करूणा व सेवा परायणता को नमस्कार करती हूं।