आचार्यश्री महाप्रज्ञ महाप्रयाण दिवस पर चारित्रात्माओं के उद्गार
जमशेदपुर में आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी के महाप्रयाण दिवस पर समणी मधुरप्रज्ञा जी ने अपने उद्बोधन में कहा- आचार्य महाप्रज्ञ जी एक छोटे से गांव टमकोर में जन्मे थे। उन्होंने कभी स्कूल का दरवाजा नहीं देखा पर मैं आज आप लोगों को नत्थु से महाप्रज्ञ की यात्रा करवा रही हूं। नत्थु जब मुनि नथमल बने, वे कालुगणी के कर कमलों से दीक्षित हुए। वे गुरु के प्रति पूर्ण समर्पित थे। समर्पण भाव, विनम्रता, निरहंकारिता ने उन्हें विकास की ऊंचाइयों तक पहुंचाया। आचार्यश्री तुलसी के पास उन्होंने शिक्षा ग्रहण ही नहीं की अपितु उनके द्वारा दिए सूत्रों को व्याख्यायित किया। चाहे आगम संपादन का काम हो, प्रेक्षाध्यान, जीवन विज्ञान, अणुव्रत का काम हो इन सबको वैज्ञानिक ढंग से प्रस्तुत किया। आचार्य महाप्रज्ञजी का साहित्य आज विद्वान लोगों को भी दीप बनकर आलोक दे रहा है। समणी जी ने कहा- महाप्रज्ञ वाङ्गमय सदियों-सदियों तक लोगों को रोशनी देता रहेगा। आज हम उनके अवदानों के प्रति प्रणत हैं। समणी मननप्रज्ञा जी ने भी इस अवसर पर अपने विचार प्रस्तुत किए। महिला मंडल की बहनों ने गीत के माध्यम से अपने भावांजलि प्रस्तुत की। ज्ञानशाला के बच्चों ने भी अपनी प्रस्तुति दी।