अक्षय तृतीया दिवस पर आयोजित िवभिन्न कार्यक्रम
तमिलनाडु के कुंभकोणम नगर में मुनि दीपकुमार जी के सान्निध्य में अक्षय तृतीया महोत्सव का आयोजन जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा कुंभकोणम द्वारा किया गया। इस अवसर पर तीन श्राविकाओं के वर्षीतप के पारणे हुए। मुनि दीपकुमार जी ने कहा– अक्षय तृतीया का पवित्र दिन जैन धर्म के अनुसार इस युग में भिक्षा विधि के प्रारंभ का दिन है। आज के दिन भगवान ऋषभ का एक वर्ष से ऊपर की तपस्या का पारणा हुआ था। भगवान ऋषभ इस युग के प्रथम राजा कहलाए, प्रथम मुनि बने, प्रथम भिक्षुक कहलाए और प्रथम तीर्थंकर बने। भगवान ऋषभ का जीवन समग्रता लिए हुए था जिन्होंने समाज के लिए भी अपना समय लगाया और बाद में साधना में भी लीन बने। मुनिश्री ने आगे कहा– वर्तमान में भगवान ऋषभ की तपस्या को सामने रखकर हजारों–हजारों लोग वर्षीतप की साधना कर रहे हैं, यहां पर भी तीन बहने उपस्थित हैं। आज वर्षीतप करने वाली तीनों बहने दूसरे संप्रदाय की है पर फिर भी हमारे यहां वे उपस्थित हैं इसकी हमें प्रसन्नता है। तीनों बहने तप के क्षेत्र में बढ़तीं रहे यही मंगलकामना करते हैं। मुनि काव्यकुमार जी ने संचालन करते हुए कहा – अक्षय तृतीया का पर्व त्याग और तपस्या की प्रेरणा देने वाला है। प्रभु ऋषभ एक अलौकिक और विलक्षण पुरुष थे। मुख्य वक्ता ज्ञानचंद आंचलिया, मुख्य अतिथि मेघराज लूणावत, प्रेम सुराणा ने अपनी भावनाएं व्यक्त की। कार्यक्रम में मंगलाचरण महिला मंडल की बहनों ने किया। स्वागत भाषण धर्मचंद छल्लाणी ने दिया। आभार ज्ञापन तेरापंथी सभा अध्यक्ष विशाल सेठिया ने किया।