तपोभूिम सिरियारी में मिलता है परम शािन्त और आनंद का अनुभव
आचार्यश्री भिक्षु की तपोस्थली सिरियारी में स्थित हेम अतिथि गृह में तेरापंथ के तृतीय आचार्यश्री रायचन्द जी की जन्म एवम् दीक्षा भूमि रावलिया से 180 व्यक्तियों का संघ उपस्थित हुआ। शनिवार की सामायिक अनुष्ठान की सम्पन्नता के पश्चात् एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए मुनि चैतन्यकुमार 'अमन' ने कहा सिरियारी तेरापंथ की महान् तीर्थभूमि है। इस भूमि के कण-कण में आचार्यश्री भिक्षु के तप-त्याग-साधना के आलेख हैं। उसी का प्रभाव है कि यहां प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में श्रावक-श्राविकाओं का आगमन होता रहता है।
न केवल तेरापंथी-जैन अपितु जैनेत्तर समाज के लोग भी यहां पर आते रहते हैं। अतः यह भूमि सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण मानी जाती है। भिक्षु की तीर्थभूमि में सबकी इच्छाओं को पूर्ण होने का अवसर मिलता है। इस अवसर पर मुनि धर्मेशकुमार जी ने कहा- श्रीमद् आचार्य भिक्षु मानव जाति के श्रद्धेय बने हुए हैं। यहां आने वालों को अनूठा आनन्द, परम शान्ति व आत्मिक निर्मलता को अनुभव होता है बशर्ते व्यक्ति ध्यान के माध्यम से अन्तर में उतरने का प्रयत्न करता है। रावलिया - तेरापंथ के तृतीय आचार्यश्री रायचन्दजी की जन्म एवं दीक्षा भूमि होने से उस क्षेत्र का भी बहुत महत्व है।
ब्रह्मऋषि के रूप प्रख्यात आचार्यश्री रायचन्दजी ने धर्मसंध के चहुंमुखी विकास के द्वार उद्घाटित किए। वर्तमान में उनकी जन्म एवं दीक्षा भूमि का अच्छा विकास हो रहा है। वहां चलने वाले प्रेक्षा ध्यान केन्द्र की गतिविधियों से सभी लोग लाभान्वित्त हो रहे हैं। इस अवसर पर कमलेश बम्ब ने अपने विचार प्रस्तुत करते हुए पारिवारिक परिचय दिया। हेमन्त बम्ब ने बताया कि 180 व्यक्तियों ने समाधि स्थल पर सामूहिक जप आराधना कर अपने आराध्य के प्रति श्रद्धा की अभिव्यक्ति दी। आगामी परमपूज्य गुरुदेव के सूरत चातुर्मास का अधिक से अधिक लाभ लेने के लिए प्रेरणा प्रदान की।