आचार्य तुलसी के अवदानों पर व्याख्यान माला का आयोजन

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आचार्य तुलसी के अवदानों पर व्याख्यान माला का आयोजन

परम पूज्य आचार्य श्री तुलसी के 28वें महाप्रयाण दिवस के उपलक्ष्य में सात दिवसीय कार्यक्रम आचार्य तुलसी शान्ति प्रतिष्ठान गंगाशहर द्वारा आयोजित किए गए। कार्यक्रम के चतुर्थ दिन साध्वी चरितार्थप्रभाजी, साध्वी प्रांजलप्रभाजी, डॉ. समणी मंजूप्रज्ञा जी एवं समणी स्वर्णप्रज्ञा जी के सान्निध्य में शांति निकेतन सेवा केन्द्र में ‘आचार्य तुलसी के अवदानों पर व्याख्यान माला’ कार्यक्रम आयोजित हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केन्द्रीय विधि एवं न्याय मंत्री एवं जैन विश्व भारती विश्वविद्यालय, लाडनूं के कुलपति अर्जुनराम मेघवाल थे। अपने वक्तव्य में केन्द्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने कहा कि आचार्यश्री तुलसी के अनेक संस्मरण हैं, जो उन्हें समय-समय पर प्रेरित करते हैं। उनके साहित्य का मैंने जब भी अवसर मिला, अध्ययन किया और करता रहता हूं। साध्वी प्रांजलप्रभा जी ने आचार्य तुलसी के अवदानों की चर्चा करते हुए समण श्रेणी को आचार्य तुलसी का महान अवदान बताया। जिसके चलते जैन धर्म का विदेशों में प्रचार शुरू हो सका।
साध्वी चरितार्थप्रभाजी ने कहा कि आचार्य तुलसी के अवदानों को सिर्फ कहने और सुनने तक सीमित ना रखकर जीवन में उतारने की आवश्यकता है। समणी मंजूप्रज्ञा जी ने कहा आचार्य श्री तुलसी श्रम के देवता थे। अपने जीवन की अंतिम श्वास तक वे श्रम का जीवन जीते रहे। इस अवसर पर आचार्य तुलसी शांति प्रतिष्ठान की ओर से मुख्य ट्रस्टी गणेश बोथरा, अध्यक्ष हंसराज डागा, मंत्री दीपक आंचलिया, निवर्तमान अध्यक्ष महावीर रांका ने अर्जुनराम मेघवाल को तुलसी साहित्य भेंट कर एवं जैन प्रतीक चिन्ह पहनाकर सम्मान किया। कार्यक्रम का संयोजन ममता रांका ने किया। जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, तेरापंथ युवक परिषद्, तेरापंथ महिला मंडल द्वारा भी विधि एवं कानून मंत्री का सम्मान किया गया। कार्यक्रम में सभी संस्थाओं के प्रतिनिधि, समाज के गणमान्यजन और पदाधिकारी उपस्थित थे। सात दिवसीय आध्यात्मिक कार्यक्रम की शुरुआत प्रेक्षाध्यान शिविर से की गई थी। तीन दिवसीय आवासीय प्रेक्षाध्यान शिविर में देशभर से आए 114 महिलाओं व पुरुषों सहित युवक और युवतियों को प्रेक्षाध्यान की बारिकियां सिखाई गई।
पांचवें दिन आचार्य तुलसी समाधी स्थल के समक्ष आशीर्वाद भवन में प्रबुद्धजन सम्मेलन आयोजित हुआ। साध्वी चरितार्थप्रभाजी एवं समणी डॉ. मंजूप्रभा जी के सानिध्य में ‘द मोरल ऑफ द स्टोरी इज मोरालिटी’ विषय पर आयोजित व्याख्यान माला में शहर के विभिन्न क्षेत्रों शिक्षा, चिकित्सा, अध्यात्म, साहित्य और अधिवक्ता सहित करीब 250 प्रबुद्धजनों ने भाग लिया। कार्यक्रम की मुख्य वक्ता साध्वी चरितार्थप्रभाजी ने कहा कि नैतिकता ही जीवन का आदर्श गुण है। अगर जीवन में नैतिकता आ जाए तो जीवन की दिशा ही बदल जाती है। नैतिकता के अभाव में व्यक्ति अपने जीवन की दिशा और दशा दोनों से भटक जाता है।
मुख्य अतिथि संभागीय आयुक्त वंदना सिंघवी ने अपने वक्तव्य में कहा कि जैन कुल में जन्म लेना सौभाग्य की बात है। मुझे प्रारंभ से ही ऐसे संस्कार मिले जिससे मैंने अपने आज तक की 35 वर्ष की राजकीय सेवा में उन नैतिक और मानवीय मूल्यों को बनाए रखा। कार्यक्रम में मंगलाचरण कोमल पुगलिया ने किया। संस्थान की गतिविधियों की जानकारी महामंत्री दीपक आंचलिया ने दी। कार्यक्रम में हंसराज डागा, विनोद बाफना, दीपक आंचलिया, किशन बैद, जेठमल बोथरा ने संभागीय आयुक्त को जैन पताका पहनाकर एवं साहित्य भेंट कर सम्मान किया। कार्यक्रम का संचालन भैरुदान सेठिया ने किया।