मर्यादा पुरुष थे आचार्य भिक्षु
गदग
शासनश्री साध्वी पद्मावती जी के सान्निध्य में 219वाँ आचार्य भिक्षु जन्मोत्सव दिवस मनाया गया। शासनश्री साध्वी पद्मावती जी ने कहा कि आचार्य भिक्षु उस व्यक्तित्व का नाम है जिन्होंने तेरापंथ धर्मसंघ के लिए मर्यादाएँ लिखी, संविधान बनाया, जिन्होंने कष्टों को उपहार के रूप में स्वीकार किया। आचार्य भिक्षु ने अपने मौलिक चिंतन के आधार पर नए मूल्यों की स्थापना की।
डॉ0 साध्वी गवेषणा ने संचालन करते हुए कहा कि आचार्य भिक्षु ने आकर क्या खोया-क्या पाया इसका लेखा-जोखा इतिहास ने उनका जीवनवृत्त स्वयं बोल रहा है। साध्वी मयंकप्रभा जी ने कहा कि जैन परंपरा में आचार्य भिक्षु का उदय एक नए आलोक सृष्टि है। उनका जीवन अनेक विशिष्टताओं का पुंज था। कार्यक्रम की शुरुआत सीमा कोठारी के मंगलाचरण से हुई।
साध्वी मेरूप्रभा जी व साध्वी दक्षप्रभा जी ने सुमधुर गीतिका प्रस्तुत की। परतूल से समागत अंजु नाहर ने अपना चमत्कारी संस्मरण सुनाया। जितेंद्र संकलेचा, जितेंद्र जीरावला, विनय सालेचा, दीपचंद भंसाली, ललित गांधी मूथा ने गीतिका प्रस्तुत की। पुष्पा बाई भंसाली ने भिक्षु चालीसा का संगान किया। सभा अध्यक्ष अमृतलाल कोठारी ने भी अपने विचार रखे।
शाम को विराट धम्म जागरण का आयोजन किया गया। मंगलाचरण कन्या मंडल के द्वारा हुआ। शोभा सारिका संकलेचा, पिस्ता गांधी मूथा, तेयुप, किशोर मंडल के सभी सदस्यों ने स्वर लहरियों से सबको भाव-विभोर किया। ज्ञानशाला के बच्चों का वन मिनट शो रखा गया, जिसमें एक मिनट में सबसे ज्यादा ‘ॐ भिक्षु’ बोलने वालों को पुरस्कृत किया गया। संचालन दीपक भंसाली ने किया।