महामना आचार्य श्री भिक्षु के जन्मोत्सव पर विशेष
आरती दीपांनंदन की,
बल्लुसुत कलुष निकंदन की।
सत्य साधक आनंदघन की,
प्रणति लो गण नंदनवन की।।
कंटीली संयम की राहें,
चले, नहीं किंचित घबराये।
समस्या बादल मंडराये,
बने बजरंग, धैर्य था संग, नहीं बिदरंग,
पिपासा शिव सुख स्यंदन की।।
किया अगम आगम मंथन,
हकीकत का मिला मक्खन।
हुआ आत्मा में अनुकंपन,
जगाया जोश, सहा आक्रोश, बुलंद था होश,
छोड़ चिंता गुरु बंधन की।।
थिरपाल फतेह ने की अर्चा,
कि बाटो तेरापंथ पर्चा।
करो अंटी का अब खर्चा,
वो अमृत बाण, सुणी गणराण, चढ़े खरसाण,
कि महकी खुशबू गणचंदन की।।
जागरण से चमका प्रभुपंथ,
अगोले अलबेले हैं संत।
बनी दुनियां दीवानी भक्त,
साधना स्रोत, बहा कलधौत, मिली भवपोत,
शरण पाई सही सन्तन की।।
लय: आरती कुंज बिहारी