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एक बूंद एक सागर-जल संरक्षण कार्यक्रम का आयोजन
अभातेममं के निर्देशन में तेरापंथ महिला मंडल गंगाशहर द्वारा आयोजित कार्यशाला में बोथरा भवन में उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि कमल कुमार जी ने कहा कि जैन धर्म में सुख-दु:ख का कर्ता स्वयं को माना गया है। लोग आज के इस माहौल में भौतिकता में बह रहे हैं। उन्होंने पानी का आध्यात्मिक महत्व बताते हुए फरमाया कि पानी की एक बूंद में असंख्य जीव होते हैं और लोग स्नान आदि कार्यों में पानी का दुरुपयोग करते हैं। पुराने ज़माने में बरसात के पानी को भी सहेज कर रखा जाता था, जो पूरे घर परिवार के लिए, सभी कार्यों के लिए पर्याप्त होता था। मुनिश्री ने सबको प्रेरणा देते हुए कहा- जल है तो हमारा कल है। जल के प्रति विवेक और संयम होना चाहिए। अनावश्यक बिजली हो चाहे पानी उसका दुरुपयोग न करे। पाँच तिथियों को नहाने का त्याग करें, नहाने के लिए पानी की सीमा करे। जागरूक बने जिससे हम अनन्त संसारी से परित संसारी बने।
महिला मण्डल जल सरक्षण के रूप में ऐसी कार्यशाला का आयोजन कर जन-जन को जागृत कर रही है। ‘हर बूंद अनमोल’ के अंतर्गत स्कूल, कॉलेज, हॉस्पिटल में पोस्टर के माध्यम से जल संरक्षण का प्रचार प्रसार किया गया। मंडल की मंत्री मीनाक्षी आंचलिया ने सभी का स्वागत किया और बताया ‘एक बून्द एक सागर’ जल संरक्षण पर निबन्ध प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया है। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता जैन कन्या महाविद्यालय के प्रो. धनपत जैन ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा महिला मण्डल द्वारा वैश्विक समस्याओं पर प्रहार किया जाता है, उनके प्रति सबको जागरूक करने का प्रयत्न किया जाता है ताकि यह समस्याएं अपना भयावह रूप लें उससे पहले हम सचेत हो जाए। आज हम सब व्यक्तिगत रूप से प्रण लें कि मेरे कारण पानी का अपव्यय न हो। मण्डल अध्यक्ष संजू लालाणी ने बताया कि जल सेवा-मानव सेवा के अन्तर्गत गर्मी के मौसम में एक वाटर कूलर मय वॉटर प्यूरीफायर महिला मण्डल द्वारा राजकीय सैटेलाइट हॉस्पिटल गंगाशहर में लगाया गया है। डॉ. मुकेश वाल्मीकि, गंगाशहर नागरिक परिषद के अध्यक्ष जतन दुगड़ आदि ने इस कार्य के लिए मंडल का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का सुन्दर संचालन कनक गौलछा ने किया।