
गुरुवाणी/ केन्द्र
सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति से जीवन बन सकता है उत्तम : आचार्यश्री महाश्रमण
महान यायावर आचार्यश्री महाश्रमणजी गुजरात के सुदूर क्षेत्रों को पावन करते हुए बायड गांव के श्री एन.एच. शाह हाईस्कूल प्रांगण में पधारे। अमृत देशना प्रदान करते हुए परम पावन ने फरमाया कि मनुष्य का जीवन शांतिमय, समाधिमय, पवित्र और सदाचारयुक्त होना चाहिए। यदि व्यक्ति गृहस्थ जीवन में भी है तो उसके जीवन में कदाचार, भ्रष्टाचार और अत्याचार नहीं होना चाहिए। सदाचार ही व्यक्ति का मूल स्वभाव होना चाहिए। अणुव्रत आंदोलन की आचार संहिता अर्थात् छोटे-छोटे नियमों का पालन यदि गृहस्थ जीवन में किया जाए तो जीवन उत्तम बन सकता है। व्यक्ति के विचार और आचरण अच्छे हों—सद्विचार और सदाचार हों। जब विचारधारा उत्तम होती है, तो आचरण की भी मजबूत आधारशिला बनती है। यदि सिद्धांत, मान्यता या दृष्टिकोण ही गलत हो, तो आचरण भी भटक सकता है। इसलिए जीवन में सम्यक दृष्टिकोण, सम्यक दर्शन, यथार्थ विचार और सद्विचार का विशेष महत्व है।
तीन बातें—सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति—सदाचार की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। यदि किसी वस्तु की लत पड़ जाए तो उसे छोड़ना कठिन हो सकता है। अतः बचपन से ही ऐसे संस्कार होने चाहिए कि बुरी आदतें पनपने ही न पाएँ। नशे की वस्तुओं को तो मिट्टी में मिला देना चाहिए, क्योंकि वे व्यक्ति को भी मिट्टी में मिला सकती हैं। नशे से बचने का संकल्प व्यक्ति को आर्थिक और मानसिक रूप से स्वस्थ बना सकता है। संयम के माध्यम से अनेक समस्याएं सुलझ सकती हैं, जबकि नशे से नई समस्याएं जन्म ले सकती हैं। नशा आज इतना व्यापक है कि उसने गरीब और अमीर सभी को जकड़ लिया है। ध्यान और संकल्प के प्रयोग से व्यक्ति नशामुक्त रह सकता है। प्राणायाम भी इस दिशा में सहायक है। सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति ऐसे प्रयोग हैं, जिनसे जीवन उत्तम और सम्यक बन सकता है।
इस अवसर पर साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभाजी ने अपने उद्बोधन में कहा कि ध्यान का प्रयोग करने वाला व्यक्ति अपने आप को देखता है, अपने भीतर झांकने का प्रयास करता है। जो व्यक्ति अपने आप को देखता है, वही सुख की अनुभूति कर सकता है। जो केवल दूसरों को देखता है, वह सच्चे सुख से वंचित रह जाता है। यदि हमें सुख पाना है, तो हमें आत्मचिंतन और अंतर्दर्शन करना होगा। पूज्यवर के स्वागत में संयोजक विशाल पितलिया, तेरापंथ महिला मण्डल की अध्यक्ष गुणवंती पितलिया, महेक बोहरा, किंजल दोसर, स्कूल के ट्रस्टी वीनूभाई पटेल व अर्हम माण्डोत ने अपने उद्गार व्यक्त किए। तेरापंथ महिला मण्डल ने स्वागत गीत का संगान किया। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेशकुमारजी ने किया।