
गुरुवाणी/ केन्द्र
जहां सरलता, वहां होता है पवित्रता का निवास : आचार्यश्री महाश्रमण
जनोद्धारक पूज्य आचार्य श्री महाश्रमणजी सप्तदिवसीय शाहीबाग प्रवास सम्पन्न कर मोटेरा पधारे। पावन प्रेरणा पाथेय प्रदान करते हुए पूज्यवर ने फरमाया कि शास्त्र में निर्वाण को प्राप्त करने की बात कही गई है। निर्वाण को कौन प्राप्त कर सकता है? जिसके जीवन में, आत्मा में धर्म होता है, वह व्यक्ति निर्वाण प्राप्त करने वाला बन सकता है। दूसरा प्रश्न है, धर्म किसके जीवन में हो सकता है? जो शुद्ध होता है, उसके जीवन में धर्म ठहरता है। तीसरा प्रश्न है कि शुद्ध कौन होता है? जिसे शोधि प्राप्त होती है, ऋजुभूत को शोधि प्राप्त होती है। सरलता के बिना शोधि का होना कठिन है। जो सरल होकर प्रायश्चित को स्वीकार कर उसका पालन कर लेता है, उसे शोधि प्राप्त हो जाती है। आत्मा को शुद्ध करना है तो प्रायश्चित प्रदाता से दोष नहीं छिपाना चाहिए।
सरलता और सच्चाई का संबंध है। सच्चाई की साधना करनी है तो सरलता और निर्भीकता चाहिए। बाहर वही प्रकट हो जो भीतर है। बच्चे जैसी सरलता हो। सरलता के साथ समझदारी भी हो। ईमानदारी का एक निवास स्थान सरलता हो सकती है। हमारे जीवन में प्रामाणिकता और ईमानदारी हो। किसी के साथ धोखाधड़ी न हो। जीवन में निर्लोभता रहे। गलत व्यवहार पाप कर्म का बंध कराने वाले होते हैं। हमें इनसे बचने का प्रयास करना चाहिए। जुबान से व्यक्ति को झूठा आरोप नहीं लगाना चाहिए। माया भी जीवन में नहीं होनी चाहिए। माया और मृषा का संबंध है। झूठ बोलने वाले पर विश्वास नहीं किया जा सकता। साधु के लिए तो यह वर्जनीय है। छद्मस्थ है, गलती हो सकती है, पर सरल बनकर प्रायश्चित स्वीकार कर लिया जाना चाहिए।''भूल छिपाना पाप है, करो निवेदन साफ। यहां बचोगे, पर नहीं, आगे होगी माफ।।''
पूज्यवर ने आगे कहा — गलती हो जाए तो उसे स्वीकार करो, वापस झूठ बोलकर दूसरी गलती मत करो। जहां सरलता है, वहां पवित्रता का निवास हो सकता है। साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभाजी ने अपने उद्बोधन में कहा कि हर व्यक्ति जीवन में सफलता प्राप्त करना चाहता है। सफलता प्राप्त करने में एक महत्वपूर्ण बात है — शांति। जब व्यक्ति के जीवन में शांति होती है, तब वह सफलता प्राप्त कर सकता है। विकास के लिए शांति की आवश्यकता है। बाह्य जगत में शांति नहीं मिल सकती। स्थायी शांति को प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को भीतरी जगत की यात्रा करनी होगी। प्रतिक्रिया से शांति भंग हो सकती है। विरले व्यक्ति होते हैं जो प्रतिक्रिया की स्थिति में भी शांति से जीना जानते हैं।