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अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर देश के कोने-कोने में हुए विविध आयोजन
अभातेयुप के निर्देशानुसार उत्तर कोलकाता तेरापंथ युवक परिषद द्वारा विनायक एनक्लेव में मुनि जिनेश कुमार जी के सान्निध्य में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुनिश्री ने योग के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति में योग की प्राचीन परंपरा रही है। ऋषि-मुनियों ने योग साधना के माध्यम से अनेक लब्धियाँ और शक्तियाँ प्राप्त की हैं। योग न केवल एक साधना है, बल्कि यह एक पूर्ण विज्ञान है और जीवन जीने की एक श्रेष्ठ कला भी है, जिसका उद्देश्य है—स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन का निर्माण। उन्होंने कहा कि नियमित योगाभ्यास से चैतन्य केंद्रों को जागृत किया जा सकता है। योग से ऊर्जा का विकास होता है, स्मरण शक्ति एवं सकारात्मक चिंतन बढ़ता है और तन-मन हल्का बना रहता है। जैसे शरीर के लिए भोजन आवश्यक है, वैसे ही आत्मा के लिए यम, नियम, आसन, प्राणायाम, ध्यान, धारणा और समाधि की आवश्यकता होती है। मुनि श्री ने बताया कि योग का एक अर्थ 'जोड़ना', दूसरा 'प्रवृत्ति' और तीसरा 'समाधि' होता है। योग के साथ ध्यान भी अनिवार्य है। प्रेक्षाध्यान के माध्यम से शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य प्राप्त किया जा सकता है। इस दौरान उन्होंने प्रेक्षा ध्यान के कुछ प्रयोग भी करवाए। योगाभ्यास सत्र का संचालन मनीषा नाहटा, श्वेता भंसाली और सुनीता दोषी ने किया। कार्यक्रम का स्वागत भाषण तेयुप अध्यक्ष प्रदीप हीरावत ने दिया तथा आभार ज्ञापन मंत्री आदित्य संचेती ने किया। इस अवसर पर तेरापंथ सभा अध्यक्ष विनोद बैद और महिला मंडल अध्यक्ष मंतोष बैद ने भी अपने विचार व्यक्त किए।