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आचार्य भिक्षु जन्म त्रिशताब्दी वर्ष, वर्षावास स्थापना एवं तेरापंथ स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में विविध आयोजन
साध्वी सोमयशाजी के सान्निध्य में 'ओम भिक्षु' के अखंड जप अनुष्ठान के साथ 300वां भिक्षु जन्म दिवस एवं 268वां बोधि दिवस का शुभारंभ स्थानीय तेरापंथ सभा भवन में हुआ। सामूहिक रूप से 'भिक्षु म्हारे प्रगट्या जी' गीत का संगान किया गया। साध्वी सोमयशा जी ने कहा कि आचार्य भिक्षु भविष्यदृष्टा, सौम्य, सहनशील व हंसमुख थे। भिक्षु स्वामी और भगवान महावीर में अनेक समानताएं हैं। आचार्य भिक्षु ने त्याग को धर्म और भोग को अधर्म बताया। साध्वी डॉ. सरलयशा जी ने भिक्षु स्वामी को क्रांति का पुरोधा बताते हुए कहा—वे अनेक कष्टों को सहने के बाद भी सत्य मार्ग पर अडिग रहे। साध्वी ऋषिप्रभा जी ने भिक्षु जीवन-दर्शन की संक्षिप्त व्याख्या करते हुए कहा कि आचार्य भिक्षु को सभी जानते और मानते हैं, परंतु आचरण में लाना शेष है। जब भिक्षु आचरण में आएंगे, तब हम लक्ष्य को प्राप्त कर सकेंगे। दिव्या दक व भाविका सिसोदिया ने भिक्षु अष्टकम का संगान किया। गगन बरडिया ने गीत की प्रस्तुति दी। निवर्तमान महिला मंडल अध्यक्ष मीना दक एवं सभाध्यक्ष सुरेश बरडिया ने अपने विचार व्यक्त किए। आभार एवं संचालन मंत्री अनिल दक ने किया। रात्रि में साध्वीश्री के सान्निध्य हुआ। अध्यक्ष सुरेश बरडिया ने भजन मंडली प्रेक्षा संगीत सुधा के सदस्यों का स्वागत कर परिचय दिया। हितेश दक, हर्षिल बरडिया ने गीत प्रस्तुत किए। प्रेक्षा संगीत सुधा के सदस्यों ने स्वामीजी के प्रसिद्ध एवं कई स्वरचित गीतों का संगान किया। आभार सभा मंत्री अनिल दक ने किया। वर्षावास प्रारंभ के अवसर पर साध्वी सोमयशा जी ने कहा कि चातुर्मास काल वासना से उपासना, भोग से त्याग तथा इंद्रिय संयम की ओर बढ़ने की प्रेरणा देता है। यह एक आध्यात्मिक अनुष्ठान है। जो सुलभबोधि होता है, वह कुछ विशेष कर सकता है। सावन-भादवा में पाचन तंत्र कमजोर होता है—यह वैज्ञानिक रूप से सिद्ध है। संकल्प शक्ति मजबूत हो तो तपस्या संभव है। तिथियों पर त्याग-प्रत्याख्यान करने का विशेष प्रयोजन स्वास्थ्य की दृष्टि से भी अपेक्षित है। साध्वी डॉ. सरलयशा जी ने कहा कि आध्यात्मिक विकास का सीजन शुरू हो गया है। भारतीय परंपरा में यज्ञ का महत्व है, और हम आध्यात्मिक जप से यज्ञ कर रहे हैं। तपस्या पर प्रेरणादायी गीत का संगान साध्वी डॉ. सरलयशा जी एवं साध्वी ऋषिप्रभा जी ने किया। तत्पश्चात साध्वी वृंद ने हाजरी का वाचन किया। श्रावक निष्ठा पत्र का वाचन प्रवक्ता उपासक महेन्द्र दक ने किया। आभार एवं सूचना सभा मंत्री अनिल दक ने दी। तेरापंथ स्थापना दिवस समारोह में साध्वी सोमयशा जी ने बताया कि गुरुपूर्णिमा के दिन तेरापंथ का सौभाग्य जगा, जिससे हमें भीखणजी जैसे गुरु प्राप्त हुए।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तेरापंथ का जो विकास दिखाई देता है, वह तप और त्याग का परिणाम है। साध्वी डॉ. सरलयशा जी ने कहा कि भारतीय संस्कृति का उद्भव ऋषि परंपरा से हुआ है। उसी प्रकार तेरापंथ धर्मसंघ, आचार्य भिक्षु के हिमालय संकल्प की अनुश्रुति है। मुख्य वक्ता प्रवक्ता उपासक महेन्द्र दक ने अपने वक्तव्य में तेरापंथ के इतिहास की संक्षिप्त जानकारी दी। महिला मंडल अध्यक्ष रेखा पितलिया, उपाध्यक्ष नीतू बाबेल, निवर्तमान अध्यक्ष मीना दक ने भिक्षु अष्टकम से मंगल शुरुआत की। पदाधिकारी व कार्यसमिति बहनों द्वारा आषाढ़ी पूनम पर सुंदर गीत का संगान हुआ। कन्या मंडल एवं महिला मंडल की युवतियों द्वारा 'केलवा की ओरी' पर सुंदर नाटिका प्रस्तुत की गई। संचालन साध्वी ऋषिप्रभा जी ने किया।