आचार्य भिक्षु जन्म त्रिशताब्दी वर्ष, वर्षावास स्थापना एवं तेरापंथ स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में विविध आयोजन

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हुबली

आचार्य भिक्षु जन्म त्रिशताब्दी वर्ष, वर्षावास स्थापना एवं तेरापंथ स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में विविध आयोजन

आचार्य भिक्षु जन्म त्रिशताब्दी वर्ष के शुभारंभ के अवसर पर मुनि विनीत कुमार जी ने आचार्य भिक्षु के विलक्षण व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वे सत्य के अन्वेषक थे और उनकी साधना अद्वितीय थी। मुनिश्री ने बताया कि उन्होंने लगभग 38,000 पदों की रचना की, जो आज भी साहित्यिक दृष्टि से विशिष्ट माने जाते हैं। मुख्य अतिथि जगद्गुरु डॉ. सिद्धराज योगेंद्र महास्वामी ने तेरापंथ धर्मसंघ की सेवा और अनुशासन की प्रशंसा करते हुए मुनि विनीत कुमार जी एवं मुनि पुनीत कुमार जी के चातुर्मास हेतु मंगलकामनाएं व्यक्त की। कार्यक्रम का शुभारंभ तेरापंथ कन्या मंडल द्वारा भिक्षु अष्टकम के मंगलाचरण से हुआ। सभा अध्यक्ष पारसमल भंसाली ने सभी का स्वागत किया। कार्यक्रम में महिला मंडल, तेयुप, अणुव्रत समिति सहित कई संस्थाओं के पदाधिकारी उपस्थित रहे। प्रेक्षा संगीत सुधा की प्रस्तुति एवं समाजसेवी महेंद्र सिंघी की वाणी ने श्रोताओं को प्रभावित किया। कार्यक्रम का संचालन मुनि पुनीत कुमार जी ने किया, और आभार रमेश चोपड़ा ने व्यक्त किया। तेरापंथ स्थापना दिवस समारोह पर मुनि विनीत कुमार जी ने तेरापंथ की स्थापना पर प्रकाश डालते हुए कहा कि स्वामी भीखणजी ने आचार-विशुद्धि और संघ की एकता पर बल देते हुए अनुशासित संगठन की नींव रखी। उन्होंने बताया कि तेरापंथ का विकास किसी स्वार्थ नहीं, बल्कि आत्मार्थिता की भावना से हुआ। उन्होंने जैन ग्रंथों से उदाहरण देते हुए समझाया कि भगवान महावीर के निर्वाण के बाद भस्म राशि और धूमकेतु जैसे ग्रहों के प्रभाव ने धर्म की गति को प्रभावित किया। जब यह प्रभाव समाप्त हुआ, तब तेरापंथ का पुनरुद्धार संभव हुआ।
गुरुपूर्णिमा पर मुनि विनीत कुमार जी ने कहा कि जहां गुरु होता है, वहां शिष्य तेजस्वी बनते हैं। मुनि पुनीत कुमार जी ने कहा—गुरु वही है जो अनुशासित हो, आत्मविश्वासी हो और प्रतिरोधात्मक शक्ति से युक्त हो। कार्यक्रम का शुभारंभ तेरापंथ महिला मंडल के सुमधुर संगान से हुआ। गौतम वेदमुथा, रमेश पालगोता, अशोक पालगोता सहित अन्य गणमान्यजन ने भी गीतों के माध्यम से अपनी भावनाएं प्रकट की।