कषायों के उपशमन से होता है मन में शांति का बीजारोपण

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विजयनगर, बैंगलोर।

कषायों के उपशमन से होता है मन में शांति का बीजारोपण

श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा विजयनगर के तत्वावधान में अर्हम भवन, विजयनगर में साध्वी संयमलता जी के सान्निध्य में वास्तु शास्त्र कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ साध्वीश्री द्वारा नमस्कार महामंत्र एवं भिक्षु स्तुति के साथ हुआ। मुख्य वक्ता एवं प्रशिक्षक वास्तु विद् प्रशांत एम. के. ने विषय पर अपनी प्रस्तुति देते हुए बताया कि वास्तु शास्त्र एक प्राचीन पद्धति है, जो हमारे आसपास की नकारात्मक ऊर्जा को घटाकर सकारात्मक ऊर्जा के प्रभाव को बढ़ाती है। उन्होंने छोटे-छोटे सुझावों के माध्यम से बताया कि किस प्रकार वास्तु विज्ञान द्वारा अग्नि, पृथ्वी, वायु, जल और आकाश — इन पाँच तत्वों को संतुलित कर हम अपने घर, कार्यस्थल आदि में सकारात्मक ऊर्जा का वातावरण बनाकर कार्यकुशलता, शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य, रिश्तों में सामंजस्य और आर्थिक समृद्धि प्राप्त कर सकते हैं। साथ ही उन्होंने उपस्थित भाई-बहनों के प्रश्नों एवं जिज्ञासाओं का समाधान भी दिया।
साध्वी संयमलता जी ने अपने वक्तव्य में उत्तराध्ययन सूत्र के आधार पर सम्यक्त्व के प्रथम पड़ाव 'शम' के विषय में बताते हुए कहा — जब कषाय क्षीण हो जाते हैं, तब व्यक्ति के मन में शम अर्थात शांति का बीजारोपण होता है। जब तक व्यक्ति के भीतर क्रोध, मान, माया, लोभ आदि कषाय रूपी शल्य विद्यमान रहते हैं, तब तक उसे शांति प्राप्त नहीं हो सकती। इसके लिए कषायों का उपशमन आवश्यक है, जिसमें सबसे प्रथम क्रोध का उपशमन जरूरी है, क्योंकि क्रोध से व्यक्ति अपना विवेक खो देता है। जब कषायों का शमन होता है, तब सम्यकत्व का उद्भव होता है, और यदि एक बार इसका स्पर्श हो जाए, तो जीवन उज्ज्वल बन जाता है। कार्यक्रम का संचालन करते हुए साध्वी मार्दवश्री जी ने श्रावक-श्राविकाओं को 11 रंगी तप के महायज्ञ में सम्मिलित होने की प्रेरणा दी। साध्वी रौनक प्रभा जी ने ध्यान का प्रयोग करवाते हुए जीवन में त्याग के महत्व को रेखांकित किया। इस अवसर पर सभा अध्यक्ष मंगल कोचर, मंत्री दिनेश हिंगड़, उपाध्यक्ष बाबूलाल बोथरा, सह मंत्री मनोहर लाल बोहरा, तेयूप अध्यक्ष विकास बांठिया, महिला मंडल अध्यक्ष महिमा पटावरी एवं श्रावक-श्राविकाओं की बड़ी संख्या में उपस्थिति रही।