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संगीत प्रतियोगिता का हुआ आयोजन
मुनि जिनेशकुमारजी के सान्निध्य में चातुर्मासिक कार्यक्रमों के अंतर्गत धार्मिक संगीत प्रतियोगिता 'कौन बनेगा सुरों का सरताज' का आयोजन तेरापंथ युवक परिषद पूर्वांचल कोलकाता द्वारा भिक्षु विहार में किया गया। इस प्रतियोगिता के निर्णायक देवेंद्र बैगानी, सुरेंद्र बोथरा और सुधा नाथानी चक्रवर्ती रहे।
इस अवसर पर आशीर्वचन प्रदान करते हुए मुनि जिनेश कुमारजी ने कहा कि भारतीय व अन्य संस्कृतियों में संगीत का बहुत बड़ा महत्व है। संगीत को पंचम वेद कहा गया है। यह एक प्रकार की आध्यात्मिक चिकित्सा है, जिसके माध्यम से व्यक्ति अपना व्यक्तित्व निखारता है और ऊर्जा प्राप्त करता है। स्वर का अत्यंत महत्व है; जिसके पास कंठ-कला होती है वह श्रोताओं को बांधे रखता है। प्रवचनों में भी संगीत का उपयोग होता है। इस प्रकार की संगीत प्रतियोगिताएं अत्यंत सार्थक हैं, जिनसे समाज की प्रतिभाओं का पता चलता है। कार्यक्रम का शुभारंभ मुनि कुणाल कुमारजी के मंगल संगान से हुआ। स्वागत भाषण तेरापंथ युवक परिषद पूर्वांचल के अध्यक्ष राजीव बोथरा ने दिया। प्रतियोगिता में आयु सीमा के आधार पर दो वर्ग बनाए गए – 20 से 50 वर्ष के प्रतिभागियों को वर्ग-1 तथा 50 वर्ष से अधिक आयु के प्रतिभागियों को वर्ग-2 में रखा गया। वर्ग-1 में प्रथम स्थान हंसा सुराणा, द्वितीय स्थान पारस बरड़िया, और तृतीय स्थान पूजा दुगड़ ने प्राप्त किया। वर्ग-2 में प्रथम स्थान नरेंद्र बरड़िया, द्वितीय स्थान विकास बोथरा और तृतीय स्थान रानी नौलखा को प्राप्त हुआ। परिणाम की घोषणा निर्णायक देवेंद्र बैगानी द्वारा की गई। इस अवसर पर निर्णायक देवेंद्र बैगानी, सुरेंद्र बोथरा और सुधा नाथानी चक्रवर्ती ने भी सुमधुर प्रस्तुतियां दीं। प्रतियोगिता में विजेताओं और सभी प्रतिभागियों को तेरापंथ युवक परिषद पूर्वांचल, कोलकाता द्वारा पुरस्कृत किया गया। आभार ज्ञापन तेयुप मंत्री सिद्धार्थ दुधोड़िया ने किया। कार्यक्रम का संचालन प्रतियोगिता संयोजक नैतिक भादाणी ने किया।