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आचार्य भिक्षु जन्म त्रिशताब्दी वर्ष, वर्षावास स्थापना एवं तेरापंथ स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में विविध आयोजन
आचार्य भिक्षु जन्म त्रिशताब्दी वर्ष कार्यक्रम की शुरुआत साध्वी ललितकला जी ने नवकार महामंत्र के उच्चारण से की। इसके पश्चात साध्वीश्री ने 'भिक्षु म्हारे प्रगट्या जी' गीत का सामूहिक संगान करवाया। गीत उपरांत, सभी श्रावक-श्राविकाओं से सामूहिक रूप से पाँच मिनट तक 'ॐ भिक्षु जय भिक्षु' का जाप करवाया गया। सभा अध्यक्ष मालचंद नौलखा ने आचार्य भिक्षु के जीवन की प्रेरणादायक घटनाओं को साझा किया। तेयुप अध्यक्ष विकास तातेड़ ने महामना भिक्षु को भावांजलि अर्पित की और मंत्री अमित बोथरा ने 'तेरापंथ रो भाग्य विधाता' गीत का भावपूर्ण संगान किया। साध्वी मंजुलाश्री जी ने बताया कि आचार्य भिक्षु ने अनासक्त जीवन जिया और अपने परम मित्र रामचरण जी के साथ वैराग्य साधना का संकल्प लिया था। उन्होंने यह भी बताया कि आचार्य भिक्षु ने 38,000 पद्म प्रमाण की रचना की थी। प्रेम प्रकाश बैद ने आचार्य भिक्षु की विशेषताओं को उजागर किया।
साध्वी योगप्रभा जी, साध्वी मंजुलाश्री जी एवं साध्वी समृद्धि प्रभा जी ने सामूहिक गीतिका 'मां दीपां थारो लाल कठे' का सुंदर संगान किया। साध्वी ललितकला जी ने अपने उद्बोधन में बताया कि आचार्य भिक्षु के जन्मदिवस को बोधि दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। उन्होंने बताया कि बचपन से ही भीखण जी कुशाग्र बुद्धि के धनी थे और उन्हें कई नामों से पुकारा जाता था जैसे भीखण, भिखू, सांवरिया आदि। उनकी माता ने गर्भकाल में सिंह का स्वप्न देखा था और आचार्य भिक्षु ने भी जीवनभर सिंहवत जीवन जिया। तेरापंथ स्थापना दिवस का शुभारंभ साध्वी योगप्रभा जी और साध्वी समृद्धि प्रभा जी ने मंगलाचरण से किया। उपासिका मोनिका देवी नौलखा ने आचार्य भिक्षु और भगवान महावीर के जीवन में समानताओं की चर्चा की और बताया कि आचार्य भिक्षु ने सभी आगम ग्रंथों का दो बार गहन अध्ययन किया था।
तेरापंथ महिला मंडल की नवमनोनीत अध्यक्ष सरिता चोपड़ा ने अपने भाव प्रस्तुत किए और महिला मंडल की बहनों ने एक नाट्य प्रस्तुति के माध्यम से आचार्य भिक्षु के जीवन को जीवंत किया। इस कार्यक्रम का संयोजन साध्वी समृद्धिप्रभा जी एवं साध्वी मंजुलाश्री जी ने किया। कार्यक्रम में स्थानीय संघीय संस्थाओं के पदाधिकारीगण एवं श्रावक-श्राविका समाज की उल्लेखनीय उपस्थिति रही।