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शासन कल्पतरु कार्यशाला एवं श्रावक सम्मेलन का आयोजन
श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा के तत्वावधान में तेरापंथ भवन मैसूर में आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी सिद्धप्रभा जी के सान्निध्य में एक दिवसीय शासन कल्पतरु कार्यशाला का सफल आयोजन किया गया। लगभग 9 घंटे तक सुव्यवस्थित रूप से चलने वाली इस कार्यशाला में मैसूर, मंडिया, मलनाड क्षेत्र के 18 गांवों के श्रावक-श्राविकाओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। कार्यक्रम का शुभारंभ साध्वी सिद्धप्रभा जी ने नमस्कार महामंत्र के उच्चारण से किया। भिक्षु भजन मंडली द्वारा मंगलाचरण प्रस्तुत किया गया। तेरापंथ महासभा के उपाध्यक्ष नरेंद्र नखत ने शासन कल्पतरु कार्यशाला की उद्घोषणा करते हुए श्रावक निष्ठा पत्र का वाचन किया एवं अध्यक्षीय वक्तव्य भी दिया।
साध्वी सिद्धप्रभा जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि 'शासन' और 'शास्त्र' दो महत्वपूर्ण शब्द हैं। जितना मूल्य शासन का है, उतना ही शास्त्र का भी है। ढाई अक्षरों का यह शब्द 'शास्त्र' न केवल शासन करने की, बल्कि त्राण देने की भी क्षमता रखता है। कल्पतरु वही कहलाता है जो रक्षा करता है, त्राण देता है। शासन कल्पतरु वह बनता है, जिसमें चतुर्विध धर्मसंघ में निर्मलता, तेजस्विता और गंभीरता का समुचित विकास हो। साध्वी आस्थाप्रभा जी, साध्वी मलययशा जी एवं साध्वी दीक्षाप्रभा जी ने गीतिकाओं एवं प्रेरक वक्तव्यों के माध्यम से सभी को अनुप्राणित किया। महासभा के पूर्व अध्यक्ष हीरालाल मालू ने कहा कि हमें मन में गांठें नहीं रखनी चाहिए, क्योंकि गांठ बांधना सरल है, परंतु खोलना कठिन। जीवन में प्रेमभाव आवश्यक है। कार्यशाला के मुख्य वक्ता राकेश खटेड़ ने अपने प्रभावी वक्तव्य में कहा कि हमें धर्म के मर्म को समझकर उसे जीवन में उतारना चाहिए। महासभा के कर्नाटक प्रभारी प्रकाश लोढ़ा ने तेरापंथ महासभा की विविध गतिविधियों की जानकारी दी और खुले सत्र में जिज्ञासाओं का समाधान किया। कार्यशाला में कई वक्ताओं ने प्रेरणादायक विचार रखे।
तेरापंथ युवक परिषद, मैसूर द्वारा प्रस्तुत तेरापंथ मिलिट्री फोर्स लघुनाटिका विशेष आकर्षण रही, जो तेरापंथ की मर्यादाओं पर आधारित सुंदर, रोचक एवं प्रेरणादायक प्रस्तुति थी। सभा अध्यक्ष प्रकाश दक रॉयल ने स्वागत भाषण में सभी अतिथियों का अभिनंदन किया। विभिन्न सत्रों का संचालन क्रमशः सुरेश पितलिया, महावीर मारू एवं विनोद मुणोत ने किया। आभार ज्ञापन सभा मंत्री दिलीप पितलिया एवं सहमंत्री विकास दक ने किया। कार्यक्रम का सुंदर संयोजन विनोद बुरड़ एवं रमेश नौलखा ने किया। कार्यशाला के मुख्य प्रायोजक प्रकाशचंद रॉयल, केतन कुमार, वेद कुमार एवं वायु कुमार दक (छापली, मैसूर) रहे। कार्यशाला में मैसूर, नंजनगुड, गुंडलपेट, एचडी कोटे, केआर पेट, केआर नगर, श्रीरंगपट्टण, पांडवपुरा, चामराजनगर, चंद्रायपटना, श्रवणबेलगोला, होले नरसीपुर, प्रियापटना, टी नरसीपुर, मंडिया, हासन, चिकमंगलूर सहित 18 गांवों के श्रावक-श्राविकाओं ने सहभागिता की। लगभग 200 प्रतिभागियों की उपस्थिति में यह कार्यशाला मंगलपाठ के साथ संपन्न हुई।