शिक्षा से भी अधिक जरूरी है संस्कार निर्माण

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पड़िहारा।

शिक्षा से भी अधिक जरूरी है संस्कार निर्माण

साध्वी संघप्रभा जी के सान्निध्य में 'संस्कार निर्माण कार्यशाला' का भव्य आयोजन स्थानीय तेरापंथ महिला मंडल द्वारा किया गया। इस कार्यशाला का विषय था – 'कैसे हो संस्कारी पीढ़ी का निर्माण।' कार्यक्रम का शुभारंभ नागरमल सुराणा द्वारा सुमधुर गीतिका के माध्यम से मंगलाचरण से हुआ। साध्वी संघप्रभा जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि शिक्षा से भी अधिक आवश्यक है संस्कारों का निर्माण। उन्होंने कहा कि माता-पिता, अभिभावक और गुरुजन स्वयं को संयमित एवं अनुशासित रखते हुए बच्चों के आचार, विचार, व्यवहार और जीवन की प्रत्येक गतिविधि में धार्मिक, नैतिक व आध्यात्मिक संस्कारों का संपोषण करें। साध्वीश्री ने बच्चों को पाँच संकल्प दिलवाए तथा उन्हें मोबाइल, टेलीविजन और नशीले पदार्थों से दूर रहने की प्रेरणा दी।
साध्वी सोमश्री जी ने अपने वक्तव्य में कहा कि संस्कारों का निर्माण बच्चे में गर्भकाल से ही प्रारंभ हो जाता है। उन्होंने बच्चों को नमस्कार महामंत्र का जाप करने की प्रेरणा दी। कार्यशाला में सुयश सुराणा और रौनक भार्गव द्वारा ज्ञानशाला गीत 'अर्ह अर्ह की वंदना फले' सुमधुर स्वरों में प्रस्तुत किया गया। ज्ञानशाला के बच्चों द्वारा 'तोता-तोता क्यूँ रोता' एक्शन प्रोग्राम मनोरंजक रूप से प्रस्तुत किया गया। तेरापंथ सभा के मंत्री पन्नालाल दुगड़, उपासक मनोज सुराणा सहित अन्य वक्ताओं ने विविध शैलियों में अपने भाव प्रकट किए। ज्ञानशाला के बच्चों द्वारा 'लेता मारा प्रभुजी रो नाम' गीत की रोचक एवं सुंदर प्रस्तुति दी गई। सरिता देवी सुराणा एवं अमरचंद सुराणा ने 'बच्चों को संस्कारी कैसे बनाएं' विषय पर सारगर्भित विचार व्यक्त किए। ज्ञानशाला के बच्चों द्वारा नमस्कार मुद्रा और आसन प्रायोगिक रूप में प्रस्तुत किए गए, जो विशेष सराहनीय रहे। कार्यक्रम का कुशल संचालन साध्वी प्रांशुप्रभा जी द्वारा किया गया।