धनार्जन हो नैतिक और न्यायपूर्ण

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बीकानेर।

धनार्जन हो नैतिक और न्यायपूर्ण

जिला उद्योग संघ बीकानेर द्वारा तेरापंथ भवन में आयोजित संगोष्ठी "उद्योग एवं व्यापार: एक सच्ची सेवा" में उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि कमलकुमार जी ने अपने उद्बोधन में व्यापार जगत में नैतिकता के महत्व पर बल दिया। उन्होंने कहा कि आज के अर्थ-प्रधान युग में गृहस्थी के लिए अर्थ, काम और धर्म तीनों की साधना आवश्यक है, लेकिन इनमें धर्म का महत्व सर्वाधिक है। यदि धर्म नहीं है, तो अर्थ और काम शोभा नहीं देते। ज्ञान, नैतिकता और चरित्र के महत्व पर प्रकाश डालते हुए मुनिश्री ने कहा कि वर्तमान युग में अर्थ और डिग्रियों की होड़ लगी है, जबकि सभी का एक ही लक्ष्य होना चाहिए — ज्ञान प्राप्त करना। ज्ञान के बिना डिग्री का कोई महत्व नहीं है। उन्होंने प्रेरणा दी कि हमारी वृत्तियाँ ऐसी हों, जहाँ ज्ञान को पहला और डिग्रियों को दूसरा स्थान मिले। मुनिश्री ने कहा कि धन तो चोर और डाकू के पास भी होता है, फिर भी सेठ-साहूकार व्यापारी ही कहलाते हैं। उपासना पद्धति भले अलग-अलग हो सकती है, लेकिन मानव धर्म और चरित्र धर्म एक ही है। जहाँ नैतिकता और प्रामाणिकता है, वहीं धर्म है; यदि इन्हें गौण कर दिया जाए, तो समस्याएँ पैदा हो जाती हैं।
संयमित जीवन और न्यायपूर्ण धनार्जन पर बल देते हुए मुनिश्री ने कहा कि संसार का काम हिंसा के बिना नहीं चलता, लेकिन अनर्थ हिंसा नहीं होनी चाहिए। हमारा जीवन संयममय होना चाहिए। सभी उद्योगों की अपनी-अपनी मर्यादा होती है और न्याय करने वाला ही सफल होता है। अन्यायपूर्ण तरीके से प्राप्त धन लंबे समय तक नहीं टिकता। नैतिक व्यक्तियों का सम्मान पहले भी होता था और आज भी होता है। सफल व्यापार के लिए नैतिकता और गुणवत्ता पर बल देते हुए मुनिश्री ने कहा कि व्यक्ति धनवान, बलवान या रूपवान हो या न हो, लेकिन चरित्रवान अवश्य होना चाहिए। मन में यह भावना रहनी चाहिए कि "मेरे द्वारा कभी किसी का नुकसान न हो।" उन्होंने सभी प्राणियों के साथ मित्रता रखने, व्यापार को पूरी तरह साफ-सुथरा रखने, नाप-तोल सही रखने और माल की गुणवत्ता बनाए रखने का संदेश दिया। अर्थ-प्रधान इस युग में नैतिकता और प्रामाणिकता को प्राथमिकता देनी चाहिए, न कि किसी भी तरीके से धन अर्जित करने की भावना रखनी चाहिए।
इस अवसर पर युवक रत्न राजेंद्र सेठिया ने तीन "फैक्ट्रियाँ" अपने भीतर लगाने की प्रेरणा दी — दिमाग में आइस फैक्ट्री, मुँह में शुगर फैक्ट्री और दिल में प्रेम की फैक्ट्री। उन्होंने कहा कि व्यवसाय में प्रामाणिकता होने पर सफलता निश्चित है। जीवन में संतोष वृत्ति का विकास जरूरी है, अन्यथा मानसिक शांति संभव नहीं। शुद्ध साधन से ही शुद्ध साध्य की प्राप्ति हो सकती है। कार्यक्रम में मुनि श्रेयांस कुमार जी ने प्रेरणादायी गीतिका का गायन किया। इस अवसर पर जिला उद्योग संघ के अध्यक्ष द्वारका पच्चीसिया, उद्योगपति कन्हैयालाल बोथरा, आचार्य श्री तुलसी शांति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष गणेश बोथरा, और जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा गंगाशहर के मंत्री जतनलाल संचेती ने भी अपने विचार व्यक्त किए। संचालन विमल चौरड़िया ने किया।