
संस्थाएं
चित्त समाधि शिविर का आयोजन
अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल के निर्देशन एवं तेरापंथ महिला मंडल सूरत के आयोजन में 'हैप्पी एंड हेल्दी एजिंग' विषयक चित्त समाधि शिविर में विशाल परिषद को संबोधित करते हुए प्रोफेसर साध्वी मंगलप्रज्ञा जी ने कहा कि चित्त समाधि की प्राप्ति व्यक्ति के अपने हाथों में है। जीवन में आने वाली विषम परिस्थितियों और उतार-चढ़ाव को साहसपूर्वक स्वीकार करें और आत्मानंद का अनुभव करते रहें। प्रतिक्रियाओं से दूर रहें, जीवन को योजनाबद्धता से जिएं। समय के साथ अपने दायित्वों को भावी पीढ़ी को हस्तांतरित करते रहें और उन्हें आगे बढ़ने के लिए स्थान दें। वृद्धावस्था को बोझ न समझें, परिवार को उनका प्रबल आधार मिलता है। आवश्यकता है कि परिवार के सदस्य बुजुर्गों का सहारा बनें। उनका आशीर्वाद और प्रेरणा ही सफलता का राजमार्ग है।
साध्वीश्री ने कहा कि चित्त समाधि का अर्थ है परमानंद। परमानंद और प्रसन्नता के लिए झरने की तरह निर्मल, गतिशील और उपयोगी बने रहें। साध्वीश्री के महामंत्रोच्चार के पश्चात तेरापंथ महिला मंडल ने मंगलाचरण का संगान किया। अध्यक्षा प्रतीक्षा बोथरा ने स्वागत वक्तव्य में कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए कहा कि साध्वीश्री के मार्गदर्शन से सभी कार्य सहजता से संपन्न हो रहे हैं। उन्होंने शिविर के आयोजन में श्रम, समय और नियोजन देने वाली संयोजिका रीना राठौड़, शिल्पा मादरेचा तथा सहसंयोजिका निशा बैद, संतोष बैंगानी, बाला बाफना और रचना सोलंकी के प्रयासों की सराहना की।
इस शिविर में साध्वी सुदर्शनप्रभा जी ने कायोत्सर्ग कराया, साध्वी चैतन्यप्रभा जी ने तात्विक ज्ञान एवं मुद्रा विज्ञान पर प्रकाश डाला, साध्वी डॉ. राजुलप्रभा जी ने शिविरार्थियों से अपने जीवन अनुभव साझा किए। साध्वी डॉ. शौर्यप्रभा जी ने 'सात सितारे' के रूप में भावी दिनचर्या कैसी हो, इस पर प्रशिक्षण दिया। ज्ञानशाला मुख्य प्रशिक्षिका मनीषा सेठिया ने रोचक खेलों से वातावरण सौम्य बनाया और मोटिवेटर मेघना सुराणा ने विशेष प्रशिक्षण प्रदान किया। अंतिम सत्र 'खोलो अनुभवों का खजाना' में शिविरार्थियों ने अपने अनुभव साझा किए और जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त किया।