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मासखमण तप का तपोभिनंदन
स्थानीय तेरापंथ सभा भवन कालू में साध्वी उज्ज्वलरेखा जी के सान्निध्य में तेरापंथ सभा सहमंत्री चैनरूप बोथरा के मासखमण (31) तप का अभिनंदन किया गया। कार्यक्रम दो चरणों में आयोजित हुआ। प्रथम चरण में आचार्य भिक्षु जन्म त्रिशताब्दी वर्ष के अंतर्गत आचार्य श्री भिक्षु की अनुशासन शैली के बारे में बताया गया। द्वितीय चरण में चैनरूप बोथरा के मासखमण तप का तपोभिनंदन रखा गया। साध्वी उज्ज्वलरेखा जी ने कहा – “तप मंगल है, सबसे श्रेष्ठ है। तप छोटा सा शब्द है, परंतु इन दो शब्दों में शक्ति अणुबम से कम नहीं है। तेरापंथ धर्मसंघ में हुई विशाल तपस्याओं के बारे में बताते हुए कहा कि कालू की धरती पर भाइयों में प्रथम मासखमण हुआ है। तपस्या प्राणतत्व है, तपस्या से तीर्थंकर गौत्र का बंध होता है। तपस्या निस्वार्थ भाव से होनी चाहिए।
तप से आत्मा का कल्याण होता है, जीवन शुद्ध होता है और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है। आज की भौतिकवादी दुनिया में जहां मनुष्य भोगों में उलझा हुआ है, वहां तप ही वह साधन है जो आत्मा को शांति और सच्चे सुख की ओर ले जाता है।” उन्होंने कहा कि आज हमें सिर्फ तप की अनुमोदना नहीं करनी है, बल्कि स्वयं भी उनके मार्ग पर चलने की प्रेरणा लेनी है। साध्वीप्रमुखा श्री विश्रुतविभा जी द्वारा प्रदत्त संदेश का वाचन महासभा कार्यकारिणी सदस्य विनोद सिंघी ने किया। साध्वियों द्वारा सामूहिक गीतिका का संगान किया गया। कार्यक्रम का प्रारंभ कन्यामंडल की गीतिका के साथ हुआ। महिला मंडल द्वारा गीतिका व भावों की प्रस्तुति दी गई। तप के द्वारा तप का अभिनंदन ललित बोथरा, संगीता बोथरा, सरोज बोथरा और विनोद सिंघी ने किया। एकांतर तप के क्रम में सरोज बोथरा, संगीता बोथरा और रंजु सिंघी, सरोज बोथरा द्वितीय का तथा एकासन तप में सरिता सांड का अभिनंदन किया गया। साथ ही तेरापंथ सभा द्वारा शिवरतन उपाध्याय और मनीषा सियाग को वर्षों से निस्वार्थ भाव से सेवा देने के लिए सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम का संचालन साध्वी हेमप्रभा जी ने किया।