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जीवन निर्माण की शाला है ज्ञानशाला
डॉ. मुनि आलोक कुमार जी के सान्निध्य में तथा श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, साक्री के तत्वावधान में खान्देश स्तरीय ज्ञानशाला दिवस का भव्य आयोजन किया गया। इस अवसर पर खान्देश क्षेत्र के जलगांव, शहादा, बोराला से लगभग 70 ज्ञानशालाओं के ज्ञानार्थी उपस्थित रहे। इस अवसर पर मुनि डॉ. आलोक कुमार जी ने कहा कि ज्ञानशाला हमारे जीवन निर्माण की शाला है। जीवन में संस्कारों का जागरण अपेक्षित है। संस्कारी बच्चे समाज की नींव को मजबूत बनाते हैं। गुरुदेव तुलसी ने भावी पीढ़ी को सशक्त बनाने के लिए ज्ञानशाला का उपक्रम समाज के सामने रखा। अभिभावक अधिकाधिक संख्या में बच्चों को नियमित रूप से ज्ञानशाला भेजें। सभा अपना दायित्व निभा रही है। ज्ञानशाला के प्रशिक्षकगण साधुवाद के पात्र हैं।
इस अवसर पर मुनि हिम कुमार जी ने कहा – संस्कारों से संस्कृति महान बनती है। आज संस्कारों का जो ह्रास हो रहा है, उसके पीछे संस्कारों की कमी दृष्टिगोचर हो रही है। ज्ञानशाला संस्कार निर्माण की अनूठी पाठशाला है। मुनिश्री ने सुंदर गीतिका के माध्यम से सभी को प्रेरित किया। तेरापंथ धर्मसंघ द्वारा संचालित यह उपक्रम संस्कारों के निर्माण की दिशा में अच्छा कार्य कर रहा है। ज्ञानशाला का उद्देश्य बालकों में धार्मिक ज्ञान और संस्कार देना है।
सभी क्षेत्रों के समागत ज्ञानार्थियों ने नाटिकाओं के माध्यम से रोचक प्रस्तुतियां दीं – जैसे समय की कीमत, चार गति का वर्णन, आठ कर्मों की जानकारी इत्यादि, जिन्हें सुंदर तरीके से प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम को सफल बनाने में ज्ञानशाला प्रशिक्षिकाओं का पूर्ण योगदान रहा। ज्ञानार्थियों को तेरापंथी सभा द्वारा प्रोत्साहन स्वरूप पारितोषिक प्रदान किया गया। प्रस्तावना जोशिला पगारिया ने रखी। इंदरचंद कांकरिया ने स्वागत भाषण दिया। साक्री प्रशिक्षिकाओं द्वारा गीतिका प्रस्तुत की गई। धन्यवाद ज्ञापन पियूष कर्नावट ने किया। टीना पगारिया ने प्रासंगिक विचार रखे। प्रतियोगिता का संचालन मुनि हिम कुमार जी एवं शहादा से समागत आलोक गेलडा ने किया। कार्यक्रम के संयोजक सोहन कांकरिया और सह-संयोजक सौरभ कर्नावट रहे। स्थानीय तेरापंथ युवक परिषद का सराहनीय श्रम रहा। सोशल मीडिया का दायित्व संकेत कर्नावट ने संभाला। कार्यक्रम का संचालन भूषण कांकरिया ने किया।