आगे बढ़ने के लिए अति आवश्यक होता है अनुशासन

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गंगाशहर।

आगे बढ़ने के लिए अति आवश्यक होता है अनुशासन

उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि कमल कुमार जी के सान्निध्य में तेरापंथ भवन में ज्ञानशाला दिवस का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ ज्ञानार्थियों द्वारा अर्हम वंदना से हुआ। इस अवसर पर अपने उद्बोधन में मुनि कमल कुमार जी ने कहा कि ज्ञानशाला में बच्चों को अनुशासन का पाठ सिखाया जाता है। अनुशासन से बच्चों में पात्रता का विकास होता है, और जब पात्रता श्रेष्ठ होगी तो ज्ञान सहजता से ग्रहण किया जा सकेगा। जीवन में आगे बढ़ने के लिए अनुशासन अति आवश्यक है। ज्ञानशाला का उद्देश्य बच्चों को संस्कारित एवं जिम्मेदार नागरिक बनाना है। मुनि श्री ने आगे कहा कि ज्ञानशाला में प्रशिक्षिकाएँ बच्चों को जैन जीवन शैली, तत्त्वज्ञान और तेरापंथ दर्शन का प्राथमिक ज्ञान देकर उन्हें धार्मिक जीवन जीने की ओर उन्मुख करती हैं। बच्चों ने गीतों की रोचक प्रस्तुतियाँ दीं और यह संदेश दिया कि हमें सातों दुर्व्यसनों से बचना चाहिए तथा नशीले पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। प्रशिक्षिकाओं ने “आओ हम ज्ञानशाला में पढ़ाएँ” गीत प्रस्तुत किया।
सभा के मंत्री जतनलाल संचेती ने अपने वक्तव्य में कहा कि बच्चों के भविष्य निर्माण के लिए ज्ञानशाला अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने सभी से आह्वान किया कि परिवार के प्रत्येक बच्चे को ज्ञानशाला भेजा जाए। जयश्री भूरा ने प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। इस अवसर पर ज्ञानशाला से संबंधित एक फिल्म डॉक्युमेंट्री भी प्रदर्शित की गई, जिसमें तीर्थंकर मल्लिनाथ भगवान का पूर्व भव दर्शाया गया। कार्यक्रम में रुचि छाजेड़ का अभिनंदन किया गया, जिन्हें पूरे भारत में श्रेष्ठ ज्ञानशाला प्रशिक्षिका का पुरस्कार प्राप्त हुआ था। महिला मंडल की अध्यक्ष प्रेम बोथरा एवं पूर्व अध्यक्ष संजुदेवी लालाणी ने उनका सम्मान किया। तेरापंथ युवक परिषद के कार्यकर्ताओं ने सम्पूर्ण व्यवस्थाएँ सजगता से संपादित कीं। कार्यक्रम का संचालन सरिता आंचलिया ने किया। इस अवसर पर तारादेवी बैद ने 28 दिन की, मुनि नमि कुमार जी ने 19 दिन की, सुरेंद्र भूरा ने 10 दिन की तथा अभय कुमार चोपड़ा ने 7 दिन की तपस्या का प्रत्याख्यान किया।