रक्तदान : सेवा, समर्पण और राष्ट्रीय एकता का महाअभियान

संपादकीय

सम्पादकीय

रक्तदान : सेवा, समर्पण और राष्ट्रीय एकता का महाअभियान

कुछ ही दिन पहले का प्रसंग है। देर रात एक परिचित व्यक्ति के बच्चे की तबीयत जोधपुर में अचानक बिगड़ी और प्लेटलेट्स की कमी से डॉक्टर ने तत्काल लाइव डोनर बुलाने को कहा। घड़ी की सुई रात के 12:40 बजे का समय बता रही थी। ऐसे समय में सबसे पहले याद आई तेरापंथ युवक परिषद् के कार्यकर्ताओं की। स्मरण हुए वे साथी जो सदैव सेवा में तत्पर रहते हैं। स्थानीय तेयुप की ब्लड-डोनेशन टीम ने आधी रात में लगभग 8–10 संभावित डोनर्स से संपर्क साधा। डोनर्स ब्लड सेंटर पर लगभग 2 बजे पहुँचे और प्लेटलेट्स देने की लगभग 45 मिनट की प्रक्रिया के बाद आवश्यक मदद समय पर मिल सकी। रात भर उन्होंने लगातार चिकित्सकीय आवश्यकताओं और डोनर्स से संवाद बनाए रखा। ऐसा समर्पण व त्याग सचमुच प्रेरक और अनुकरणीय है।
यह अनुभव केवल एक घटना नहीं रहा; यह उस व्यापक राष्ट्रीय अभियान का छोटा-सा अंश है जो आज देश-व्यापी अभियान का स्वरूप ले चुका है। अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद् द्वारा संचालित Mega Blood Donation Drive और हालिया 'Raktdan Amrit Mahotsav 2.0' जैसी मुहिमों ने यह साबित कर दिया है कि रक्तदान कोई संकुचित सामाजिक क्रिया नहीं, बल्कि मानवीय एकता और नागरिक-कर्तव्य का प्रतीक है। अभातेयुप अपनी MBDD पहल के तहत वर्षों से भारत को ब्लड-संग्रह में आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास कर रहा है और इसी श्रेणी में इन पहलों ने पहले भी गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाए हैं।
सरकारी और मीडिया कवरेज के अनुसार Raktdan Amrit Mahotsav 2.0 को राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक समर्थन मिला। महत्त्वपूर्ण तथ्य यह है कि इस मुहिम ने केवल किसी एक समुदाय या संगठन तक सीमित रहने की बजाय — सरकार, राज्य/स्थानीय प्रशासन, स्वास्थ्य कम्पोनेंट (ब्लड-बैंक/मेडिकल टीम), एन.एस.एस., रेल मंत्रालय, युवा मामलात मंत्रालय और सैकड़ों स्वयंसेवी तथा स्थानीय प्रायोजक — सबको साथ में जोड़कर एक सामाजिक-सफलता का मॉडल पेश किया है।
आए दिन हम वैश्विक घटनाओं को देखते-सुनते हैं — कहीं एक देश दूसरे देश पर आक्रमण कर रहा है, किसी देश की जनता अपनी ही सरकार के खिलाफ आंदोलन कर रही है। कहीं युवा लूटमार, हिंसा, चोरी जैसे अनैतिक व्यवहारों में लिप्त होकर रक्तपात कर रहे हैं। जहाँ वैश्विक परिदृश्य में रक्त को हिंसा या संघर्ष से जोड़ा जा रहा है, अभातेयुप ने सम्पूर्ण विश्व को मानवता के एक सूत्र में पिरोने का काम करते हुए मैत्री और विश्व बंधुत्व का अप्रतिम उदाहरण दर्शाते हुए रक्त को एकता और जीवन-दायिनी सेवा का प्रतीक बनाया। यही कारण है कि इस महाअभियान से जैन-अजैन, युवा-वृद्ध, पुरुष-महिला, विद्यार्थी-व्यापारी, किसान-मज़दूर से लेकर प्रधानमंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री और सेलिब्रिटी तक—सब एक साथ जुड़े। यह केवल रक्तदान नहीं, बल्कि राष्ट्र की सामूहिक चेतना का उत्सव था।
युवा मनीषी परम पूज्य आचार्यश्री महाश्रमणजी के आशीर्वाद के बिना इतना बड़ा और व्यवस्थित कार्य हो पाना असंभव था। गुरु की शक्ति ही नैया को पार लगाती है। हम सौभाग्यशाली हैं कि ऐसे साधनाशील अनुशास्ता का वरदहस्त हमारे सिर पर है। अभातेयुप के आध्यात्मिक पर्यवेक्षक मुनि योगेशकुमारजी एवं सहवर्ती मुनि अक्षयप्रकाशजी का मार्गदर्शन भी कार्यकर्ताओं में जोश भरने वाला रहा।
अभातेयुप के राष्ट्रीय अध्यक्ष रमेश डागा और महामंत्री अमित नाहटा के नेतृत्व में यह विशेष कार्य उनके कार्यकाल का अद्वितीय कार्य साबित हुआ है। राष्ट्रीय व राज्य-स्तरीय पदाधिकारियों व समस्त कार्यकर्ताओं का जो सहयोग, समर्पण और उत्साह इस अभियान को मिला, उसमें मेगा ब्लड डोनेशन ड्राइव के राष्ट्रीय प्रभारी हितेश भांडिया, सह-प्रभारी सौरभ पटावरी और एमबीडीडी मुख्य सलाहकार राजेश सुराणा का श्रम और टीम वर्क नजर आया। इस महाअभियान की वास्तविक ताकत उन अनगिनत व्यक्तियों में निहित है — जो औपचारिक पदों पर हैं और जो आम नागरिक भी हैं।
ऐतिहासिक उपलब्धियाँ
l2012 में सर्वप्रथम एक दिन में 96,000 से अधिक यूनिट रक्त संग्रह कर क्रांति का शंखनाद किया।
l2014 में एक ही दिन में 1,00,212 यूनिट रक्त संग्रह का वर्ल्ड रिकॉर्ड।
l2016 में लगातार रक्तदान शिविर लगाकर एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स और इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में स्थान।
l2022 में भारत सरकार के सहयोग से 42 देशों में 2.5 लाख यूनिट संग्रह।
l2023 में सेवा पखवाड़ा अभियान में 3.75 लाख यूनिट संग्रह।
lऔर अब Raktdan Amrit Mahotsav 2.0—जिसके आंकड़े 2 अक्टूबर को भारत सरकार के साथ ही आधिकारिक रूप से घोषित किए जाएंगे। अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद् की शाखा परिषदों से प्राप्त जानकारी एवं ई रक्तकोष वेबसाइट में दर्ज सहयोगी संस्थाओं के आंकड़ों के अनुसार अब तक (प्रकाशन में जाने तक) लगभग 187,946 यूनिट्स रक्त संग्रहण की जानकारी प्राप्त हुयी है और अभी भी डाटा अद्यतन का कार्य चल रहा है।
रक्तदान केवल मेडिकल आवश्यकता नहीं — यह नैतिक और राष्ट्रीय दायित्व है। जब समुदाय, धार्मिक-सामाजिक संस्था, सरकार और आमजन मिलकर एक लक्ष्य लिए
खड़े होते हैं, तो रक्तदान जैसे अभियान न सिर्फ जीवन बचाते हैं, बल्कि समाज में आपसी विश्वास, एकता और साहस भी बढ़ाते हैं। उस रात जोधपुर की आपातकालीन घटना हमें याद दिलाती है कि एक-एक व्यक्ति का समर्पण किसी भी बड़े अभियान की मूल धुरी होता है।
अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद् के स्थापना
दिवस पर हुआ मानव कल्याण का यह कार्य इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा।