प्रेक्षाध्यान के प्रयोगों से करें कषायों को उपशांत : आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

कोबा, गांधीनगर। 15 सितम्बर, 2025

प्रेक्षाध्यान के प्रयोगों से करें कषायों को उपशांत : आचार्यश्री महाश्रमण

तीर्थंकर के प्रतिनिधि, महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी ने ‘आयारो’ आगम के माध्यम से अमृत देशना प्रदान करते हुए फरमाया कि कई मनुष्य ऐसे होते हैं, जिन्हें कुछ वचन से कठोर कह दिया जाए तो वे कुपित हो जाते हैं। जल्दी गुस्सा आ जाना मनुष्य की एक कमजोरी होती है। कई लोग ऐसे भी होते हैं जिन्हें बहुत जल्दी गुस्सा नहीं आता। जिनके जीवन में मोहनीय कर्म का प्रभाव ज्यादा होता है, वे अतिशीघ्र गुस्से में आ जाते हैं। जिनकी क्रोध की प्रकृति शांत हो गई है, वे बड़े शांत होते हैं। जो व्यक्ति गुस्से में नहीं जाता, जिसके भीतर उपशम की चेतना पुष्ट होती है, वह उसके लिए बहुत ही अच्छी बात हो सकती है।
साधु को शांत होना अपेक्षित है, परन्तु कभी-कभी साधु भी गुस्से में आ जाता है जब उनकी साधना अपरिपक्व होती है। साधु को शांत रहना चाहिए क्योंकि संत वह होता है जो शांत रहता है। गुरु, शिष्य को कभी कुछ कड़ा कहते हैं तो कई शिष्य-शिष्याएं इतने विनीत होते हैं कि वे गुरु की डांट को भी विनय भाव से स्वीकार करते हैं। हम सभी में सहिष्णुता का भाव होना चाहिए। कई बार छोटों को ही नहीं, बड़ों को भी सहन करना पड़ सकता है। सुनने के बाद भी धैर्य और शांति में रहना साधना की बात हो सकती है। गृहस्थ जीवन में भी सहन करना आवश्यक होता है। व्यक्ति परिवार में रहता है। घर में बच्चे, बड़े, युवा आदि सभी तरह के लोग होते हैं। परिवार में कभी मौके पर कहना भी होता है और सहना भी होता है, फिर भी शांति से रहने का प्रयास करना चाहिए। जहां तक संभव हो सके, समन्वय रखने का प्रयास करना चाहिए। जिसे भी गुस्सा आता है, उसे अपने गुस्से को शांत रखने का प्रयास करना चाहिए।
प्रेक्षाध्यान में दीर्घ श्वास प्रेक्षा के प्रयोग से गुस्से को शांत किया जा सकता है। इसके लिए प्रयोग में निरंतरता होनी चाहिए। प्रेक्षाध्यान के द्वारा अन्य कषायों - मान, माया, लोभ को भी शांत किया जा सकता है। इसके लिए जीवन में प्रेक्षा ध्यान का प्रयोग करते रहने का प्रयास करना चाहिए। पूज्य गुरुदेव की मंगल सन्निधि में आज प्रेक्षा ध्यान सम्मेलन का मंचीय कार्यक्रम हुआ। प्रेक्षाध्यान से जुड़ी हुई चारों संस्थाओं के पदाधिकारियों द्वारा अपनी विचाराभिव्यक्ति दी गई। प्रेक्षा ध्यान एकेडमी के अध्यक्ष भैरूलाल चौपड़ा, जैन विश्व भारती के अध्यक्ष अमरचंद लुंकड़, अध्यात्म साधना केन्द्र दिल्ली के अध्यक्ष के.सी. जैन व प्रेक्षा इंटरनेशनल के मंत्री गौरव कोठारी ने अपने विचार प्रस्तुत किए।
आचार्यश्री ने इस संदर्भ में पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि वर्तमान में प्रेक्षाध्यान कल्याण वर्ष चल रहा है। इन वर्षों में प्रेक्षाध्यान का काफी विकास हुआ है। विदेशों में भी प्रेक्षाध्यान के ट्रेनर जाते हैं। प्रेक्षाध्यान के विकास में चारों संगठनों का योग है। संगठनों को अपने कार्य की समीक्षा भी करनी चाहिए कि वास्तव में हमने पिछले वर्षों में कितनी प्रगति की है। समीक्षा करके यथोचित इस कार्य में और अधिक गति का प्रयास किया जा सकता है। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।