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भावी पीढ़ी को बनाएं शक्ति-संपन्न
साध्वी संयमलता जी के सान्निध्य में बेंगलुरु स्तरीय ज्ञानशाला प्रशिक्षिकाओं की द्वितीय कार्यशाला का आयोजन अर्हम भवन, विजयनगर में किया गया। इस कार्यशाला में बेंगलुरु के विभिन्न उपनगरों से लगभग 65 प्रशिक्षिकाओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। कार्यक्रम की मंगल शुरुआत सामूहिक मंगलाचरण से हुई। ज्ञानशाला आंचलिक संयोजक माणक चन्द संचेती ने अपने विचार व्यक्त करते हुए प्रशिक्षिकाओं को ज्ञानशाला की महत्ता और जिम्मेदारी का बोध कराया। बेंगलुरु ज्ञानशाला संयोजिका नीता गदिया ने भी अपने विचार रखे और प्रशिक्षिकाओं का उत्साहवर्धन किया। साध्वी मनीषाप्रभा जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि बच्चों को बदलने का सबसे सशक्त माध्यम हमारा अपना व्यवहार है। साध्वी मार्दवश्रीजी ने उदाहरण प्रस्तुत करते हुए कहा कि जैसे गुरु रामदास ने शिवा जैसा शिष्य देकर यह सिद्ध कर दिया कि शिष्य के भीतर कितनी अपार ऊर्जा होती है, वैसे ही प्रशिक्षिकाओं का दायित्व है कि वे भावी पीढ़ी को शक्ति-संपन्न बनाकर उसके उज्ज्वल विकास का मार्ग प्रशस्त करें।
मुख्य प्रवचन में साध्वी संयमलता जी ने कहा कि नारी अनेक दायित्वों का निर्वहन करते हुए भी अपने अमूल्य समय में से बच्चों के संस्कार और निर्माण के लिए कार्य करती है, और यही देश, समाज तथा संघ की महत्वपूर्ण सेवा है। उन्होंने प्रशिक्षिकाओं को प्रेरित करते हुए बताया कि इस कार्य को समर्पण और निष्ठा के साथ करने से ही इसका वास्तविक परिणाम सामने आता है। कार्यक्रम के अंतिम चरण में साध्वीश्री द्वारा एक रोचक प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें विजयी प्रतिभागियों को सम्मानित किया गया। इस कार्यशाला में सम्मिलित होकर प्रत्येक प्रशिक्षिका ने अपने भीतर नए जोश और प्रेरणा का अनुभव किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन मुख्य प्रशिक्षिका सीमा टेबा ने किया तथा आभार ज्ञापन नगीना मांडोत ने प्रस्तुत किया।