उपलब्धियों की समीक्षा और भविष्य की योजनाओं के साथ संपन्न हुआ टीपीएफ का 18वां राष्ट्रीय अधिवेशन

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कोबा, अहमदाबाद।

उपलब्धियों की समीक्षा और भविष्य की योजनाओं के साथ संपन्न हुआ टीपीएफ का 18वां राष्ट्रीय अधिवेशन

तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम (TPF) का 18वां राष्ट्रीय अधिवेशन अत्यंत गरिमामयी एवं भव्य वातावरण में आयोजित हुआ। देशभर की लगभग 95 शाखाओं से आए करीब 1000 से अधिक प्रोफेशनल्स ने इस त्रिदिवसीय अधिवेशन में सक्रिय भागीदारी निभाई। अधिवेशन का शुभारंभ पूज्य गुरुदेव आचार्य श्री महाश्रमण जी के पावन मंगलपाठ से हुआ। इसके पश्चात वार्षिक साधारण सभा का आयोजन राष्ट्रीय अध्यक्ष हिम्मत मांडोत की अध्यक्षता में हुआ, जिसमें संगठन की वार्षिक उपलब्धियों की समीक्षा के साथ-साथ भविष्य की योजनाओं और कार्यप्रणाली पर विस्तार से चर्चा हुई। बैठक में संगठनात्मक ढांचे को और सुदृढ़ बनाने हेतु कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव भी पारित किए गए। शाम को ज़ोनल प्रेजेंटेशन और अवॉर्ड सेरेमनी का आयोजन हुआ, जिसमें विभिन्न शाखाओं की उपलब्धियों को सराहा गया। दूसरे दिन की शुरुआत उत्साहपूर्ण रैली से हुई, जिसमें देशभर से आए टीपीएफ सदस्य नारों, बैनर और संदेशों के साथ सम्मेलन स्थल तक पहुंचे। इसके बाद उद्घाटन सत्र में पूज्य आचार्य श्री महाश्रमण जी ने मंगलपाठ एवं प्रेरणाप्रद पाथेय प्रदान किया।
आचार्य श्री ने अपने आशीर्वचन में कहा – 'तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम का उद्देश्य केवल व्यावसायिक उन्नति नहीं, बल्कि सदस्यों का आध्यात्मिक विकास भी है। जीवन का संतुलन तभी संभव है जब साधना और सेवा दोनों का संगम हो। 'Involve to Evolve' केवल थीम नहीं, बल्कि जीवन का पथ-प्रदर्शक है।' उन्होंने धर्म, संयम और साधना के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्रोफेशनल्स को अपने कार्यक्षेत्र में नैतिकता और सत्यनिष्ठा का पालन करते हुए समाज में प्रेरक भूमिका निभानी चाहिए। साध्वीप्रमुखा श्री विश्रुतविभा जी ने अपने प्रवचन में कहा – 'आध्यात्मिकता और प्रोफेशनलिज्म का संगम ही स्थायी सफलता का मार्ग है। आज का युग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का है, किंतु टीपीएफ को Devotional Intelligence पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।' मुख्य मुनि श्री महावीर कुमार जी ने अनुशासन और सेवा भाव की महत्ता पर प्रकाश डाला और कहा कि संगठन तभी आगे बढ़ता है जब प्रत्येक सदस्य अपनी जिम्मेदारी आत्मीयता से निभाए।
अधिवेशन के द्वितीय दिवस में टीपीएफ के आध्यात्मिक पर्यवेक्षक डॉ. मुनि रजनीश कुमार जी ने ‘टीपीएफ संगठन’ विषय पर उद्बोधन दिया और संगठन की गतिविधियों पर भावाभिव्यक्ति प्रस्तुत की। इस अवसर पर वर्ष 2025 के लिए 'टीपीएफ गौरव' पुरस्कार ऋतु चोरड़िया को प्रदान किया गया। उन्होंने भावपूर्ण उद्गार व्यक्त करते हुए कहा – 'यह सम्मान मेरे जीवन की प्रेरणा है और गुरुदेव के आशीर्वाद का ही परिणाम है।' वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने राष्ट्र निर्माण में प्रोफेशनल्स की भूमिका पर विचार व्यक्त करते हुए कहा – 'किसी भी राष्ट्र की मजबूती केवल आर्थिक शक्ति से नहीं, बल्कि नागरिकों की जागरूकता और जिम्मेदारी से होती है।'
विशेष आकर्षण के रूप में भारत-पे के संस्थापक और चर्चित उद्यमी अशनीर ग्रोवर ने अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने उद्यमिता की चुनौतियों, जोखिम उठाने और नवाचार की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। पैनल चर्चा के दौरान उन्होंने श्रोताओं के प्रश्नों का सहज समाधान किया और कहा – 'टीपीएफ जैसे मंच प्रोफेशनल्स को जोड़ने और प्रेरित करने का अद्भुत माध्यम हैं।' इसी दिन आचार्य महाप्रज्ञ कॉलेज – सिलीगुड़ी के सहयोगियों की घोषणा भी की गई। संध्या सत्र में ‘भिक्षु स्वामी क्विज़’ का आयोजन हुआ, जिसमें प्रतिभागियों ने आधुनिक तकनीक के माध्यम से ऑनलाइन उत्साहपूर्वक भाग लिया। अधिवेशन के तीसरे दिन वन टू वन कॉन्क्लेव का आयोजन हुआ जिसकी शुरुआत 'नेटवर्किंग बिंगो' गतिविधि से हुई। इस अभ्यास ने प्रोफेशनल्स को एक-दूसरे से सहज परिचय और संवाद का अवसर दिया। इसके पश्चात ऑनलाइन क्विज़ प्रतियोगिता ने अधिवेशन को और अधिक जीवंत और ज्ञानवर्धक बनाया। भुवनेश कुमार (सीईओ, आधार) ने 'आधार और समाज में तकनीकी परिवर्तन' विषय पर प्रेरक वक्तव्य दिया। उन्होंने आधार की सामाजिक उपयोगिता, डिजिटल पहचान की सुरक्षा और JAM Trinity (जनधन-आधार-मोबाइल) की सफलता पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा – 'आधार केवल डिजिटल आईडी नहीं, बल्कि नागरिक सशक्तिकरण और सुशासन का मजबूत आधार है।'
इसके बाद ‘मंथन-TPF’ सत्र हुआ जिसमें डॉ. मुनि रजनीश कुमार जी ने संगठन की नीतियों और भविष्य की कार्यप्रणाली पर गहन विचार रखे। इस अवसर पर नए ब्रांच प्रेसिडेंट्स की घोषणा और शपथ ग्रहण भी सम्पन्न हुआ। साध्वी समताप्रभा जी के सान्निध्य में आयोजित प्रेक्षा ध्यान सत्र ने उपस्थितजनों को आत्मचिंतन और मानसिक शांति का अनोखा अनुभव प्रदान किया।
अंतिम सत्र में मुनि कुमारश्रमण जी ने मार्गदर्शन देते हुए कहा – 'सफलता का आधार सत्य, संयम और सेवा है। यही स्थायी विकास का मार्ग है।' उन्होंने अधिवेशन की थीम 'Involve to Evolve' को विस्तार से समझाया और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने के सूत्र बताए। इसके उपरांत पूज्य गुरुदेव आचार्य श्री महाश्रमण जी ने समापन सत्र में प्रेरक संवाद किया। श्रावकों और श्राविकाओं ने अनेक प्रश्न रखे जिनका उन्होंने सहज और स्पष्ट समाधान दिया। उन्होंने विशेष रूप से कहा – 'यदि प्रतिदिन एक सामायिक हो जाए तो यह आत्मकल्याण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। संवत्सरी के दिन उपवास, साधना और आत्मचिंतन अवश्य करना चाहिए।' आचार्य श्री का यह संदेश सभी के लिए साधना, संयम और धर्म की गहराई को जीवन में अपनाने की प्रेरणा लेकर आया। समापन सत्र में वर्षभर में उत्कृष्ट कार्य करने वाली शाखाओं का मूल्यांकन किया गया तथा दानदाताओं का सम्मान राष्ट्रीय अध्यक्ष हिम्मत मांडोत की अध्यक्षता में हुआ। इस अवसर पर चीफ ट्रस्टी एस. के. सिंघी, राष्ट्रीय निवर्तमान अध्यक्ष पंकज ओस्तवाल, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नवीन चोरड़िया, विजय नाहटा, मनोज नाहटा, दिलीप कावड़िया, राष्ट्रीय महामंत्री मनीष कोठारी, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष नरेश कठौतिया, राष्ट्रीय सहमंत्री मोहित बैद, अखिल मारू, राकेश सुतरिया सहित वेस्ट ज़ोन अध्यक्ष दिनेश चोपड़ा, अहमदाबाद अध्यक्ष जागृत संकलेचा और अनेक ज़ोनल अध्यक्षों एवं पदाधिकारियों की गरिमामयी उपस्थिति रही। संयोजक विमल शाह ने अधिवेशन को सुव्यवस्थित एवं सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सहसंयोजक अभिषेक बुरड़ और श्रेयांश बाफना ने आयोजन की संपूर्ण रूपरेखा और व्यवस्थाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।