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भक्तामर स्तोत्र अनुष्ठान एवं हीलिंग कार्यशाला का आगाज
साध्वी कुन्दनरेखा जी के सान्निध्य में एवं तेरापंथ सभा दिल्ली के तत्वावधान में भक्तामर अनुष्ठान का कार्यक्रम हर्षोल्लास के वातावरण में संपन्न हुआ। लगभग तीन सौ भाई-बहनों ने इस अनुष्ठान में भाग लिया। इस अवसर पर साध्वी कुन्दनरेखा जी ने कहा कि आचार्य मानतुंग ने भक्तामर स्तोत्र की रचना कर जैन धर्म की कीर्ति को शिखर पर पहुँचाया था। भक्तामर स्तोत्र को चमत्कारी मंत्र मानकर स्मरण किया जाता है। 24 तीर्थंकरों में प्रथम तीर्थंकर की स्तुति में रचित यह स्तोत्र शुद्धि का प्रेरक है। यह स्तोत्र मन, वचन और काया की चंचलता को रोकता है। आद्य प्रवर्तक भगवान ऋषभ ने जहाँ लोगों को असि-मसि-कृषि का ज्ञान दिया, वहीं आत्मोपलब्धि का मार्ग भी प्रशस्त किया। तीसरे आरे में भगवान ऋषभ ने मोक्ष का वरण किया और उनके 100 पुत्रों व पुत्रियों ने भी संसार का अन्त किया। आज प्रथम भगवान ऋषभ की स्तुति हेतु भाव-धाराएँ हिलोरे खा रही हैं। आचार्य मानतुंग द्वारा रचित भक्तामर स्तोत्र का नित्य स्वाध्याय आध्यात्मिक प्रगति का सोपान कहा जा सकता है।
इस अवसर पर साध्वी कुन्दनरेखा जी, साध्वी सौभाग्ययशा जीऔर साध्वी कल्याणयशा जी द्वारा भक्ताभर स्तोत्र का उच्चारण किया गया। तत्पश्चात कीर्ति बैगाणी द्वारा सभी को शक्तिपात किया गया और हीलिंग के उद्देश्य, स्थान एवं इसके प्रयोग द्वारा मनुष्य को शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक स्वास्थ्य प्राप्त करने की विस्तृत जानकारी प्रस्तुत की गई। साध्वियों द्वारा बीजाक्षरों का भी उच्चारण करवाया गया। संदीप डूंगरवाल एवं मुकेश सेठिया द्वारा आगंतुक महानुभावों का स्वागत किया गया और कार्यशाला की सफलता हेतु शुभकामनाएँ प्रकट की गईं। साध्वी सौभाग्ययशा जी द्वारा 'ऋषभाय नमः' गीत का संगान किया गया। तेरापंथ युवक परिषद् दिल्ली एवं तेरापंथ सभा दिल्ली द्वारा भक्तामर स्तोत्र की पुस्तक वितरित की गई। अनेक भाई-बहनों, जैसे मुक्ति भंडारी, कमल सेठिया, विमला सुराणा आदि ने अपने-अपने अनुभव साझा करते हुए कार्यशाला की प्रशंसा की। आभार ज्ञापन मुकेश सेठिया ने किया।