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पर्युषण महापर्व के उपलक्ष्य में विविध आयोजन
'शासनश्री' साध्वी सुव्रता जी के सान्निध्य में पर्युषण महापर्व की आराधना हर्ष और उल्लासपूर्ण वातावरण में संपन्न हुई। खाद्य संयम दिवस पर साध्वी श्री ने अपने उद्बोधन में कहा कि जैन धर्म के जितने भी पर्व हैं, उनमें पर्युषण पर्व अति प्राचीन और सर्वोत्तम माना जाता है। यह पर्व हमें राग से विराग, अहं से अर्हम् और वासना से उपासना की ओर ले जाने की प्रेरणा देता है। साध्वीश्री ने कहा कि मंत्रजप, आगम अध्ययन, चिकित्सा या ध्यान—सभी साधनाओं की नींव खाद्य संयम है। ‘ठाणं आगम’ में रोग उत्पत्ति के चार कारण भोजन से संबंधित बताए गए हैं—अति भोजन, प्रतिकूल भोजन, इन्द्रिय-उत्तेजक भोजन और अहित भोजन। अतः रोग उत्पन्न करने वाले भोजन से परहेज करना चाहिए। साध्वी चिन्तनप्रभा जी ने खाद्य संयम पर प्रकाश डाला, साध्वी कार्तिकप्रभा जी ने गीतिका प्रस्तुत की और 'शासनश्री' साध्वी सुमनप्रभा जी ने गजसुकुमाल के जीवन का संदर्भ प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का शुभारंभ पीतमपुरा महिला मंडल के मंगलाचरण से हुआ।
स्वाध्याय दिवस पर साध्वी सुव्रता जी ने दस प्रकार के दानों की व्याख्या करते हुए धर्मदान की विशेष महत्ता बताई, जिसमें ज्ञानदान, अभयदान और स्थितिदान का विस्तार से विवेचन किया। साध्वी चिन्तनप्रभा जी ने भी स्वाध्याय दिवस पर विचार रखे। साध्वी कार्तिकप्रभा जी ने गीतिका का संगान किया और साध्वी सुमनप्रभा जी ने अन्तकृतदशा आगम के आधार पर प्रवचन किया। त्रिनगर सभा के सदस्यों ने मंगलाचरण किया।
सामायिक दिवस पर पूर्णिया श्रावक की कथा का उल्लेख करते हुए साध्वी सुव्रता जी ने कहा कि सामायिक एक अमूल्य साधना है। श्रेणिक ने अरबों-खरबों स्वर्ण देकर पूणिया श्रावक से सामायिक खरीदना चाहा, परंतु पूणिया श्रावक ने कहा— 'इसकी कीमत भगवान महावीर से पूछिए।' तब भगवान ने स्पष्ट किया कि सामायिक अमूल्य है, धन से नहीं खरीदी जा सकती। शास्त्रों के अनुसार, एक सामायिक से 1 करोड़ 58 लाख 25 हजार 900 पल्योपम नारकी आयु का नाश होता है। साध्वी चिन्तनप्रभा जी ने अभिनव सामायिक का प्रयोग कराया। साध्वी सुमनप्रभा जी ने आगम का वाचन किया और कीर्तिनगर महिला मंडल ने मंगलाचरण प्रस्तुत किया।
वाणी संयम दिवस पर साध्वी सुव्रता जी ने कहा कि मनुष्य को दो अमूल्य वरदान मिले हैं—मधुर मुस्कान और भाषा। भाषा से ही व्यक्तित्व की पहचान होती है। मुख से निकला प्रत्येक शब्द रत्न से भी अधिक मूल्यवान होता है। विवेकपूर्वक भाषा का प्रयोग जटिल समस्याओं का समाधान कर देता है। साध्वी सुमनप्रभा जी ने वाणी संयम पर अपने विचार रखे, साध्वी कार्तिकप्रभा जी व साध्वी चिन्तनप्रभा जी ने गीतिका प्रस्तुत की। कार्यक्रम का शुभारंभ मानसरोवर गार्डन महिला मंडल के मंगलाचरण से हुआ।
अणुव्रत चेतना दिवस पर साध्वी सुव्रता जी ने कहा कि आज विश्व हिंसा और आतंक की विभीषिका से जर्जर है। ऐसे समय में अणुव्रत ही आशा की किरण है। यह जीवन का आधार, दर्शन और उन्नति का माध्यम है। संयम के बिना जीवन में सुख-शांति का आगमन असंभव है। साध्वी सुमनप्रभा जी ने भी अपने विचार रखे। साध्वी कार्तिकप्रभा जी और साध्वी चिन्तनप्रभा जी ने क्रमशः व्यक्तव्य और गीतिका प्रस्तुत की। शालीमार बाग महिला मंडल ने मंगलाचरण किया।
जप दिवस पर साध्वी सुव्रता जी ने कहा कि मंत्र जप से बिखरी हुई मानसिक शक्तियाँ एकत्रित होती हैं, वायुमंडल शुद्ध होता है, रक्तसंचार संतुलित होता है और मस्तिष्क की सुप्त शक्तियाँ जाग्रत हो जाती हैं। आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी स्वयं मंत्रस्रष्टा और मंत्रविज्ञाता थे। उन्होंने मंत्रों के द्वारा अनेक व्यक्तियों की समस्याओं का समाधान किया। साध्वी सुमनप्रभा जी ने अन्तकृतदशा आगम का वाचन किया, साध्वी कार्तिकप्रभा जी ने विचार रखे और साध्वी चिन्तनप्रभा जी ने गीतिका प्रस्तुत की। शास्त्रीनगर महिला मंडल ने मंगलाचरण किया।
साध्वी सुव्रता जी ने ध्यान दिवस पर कहा— 'प्रेक्षा का अर्थ है देखना। श्वास, चैतन्य केन्द्रों और मन में उठने वाले विचारों की तरंगों को देखना ही प्रेक्षा है।' प्रेक्षा ध्यान हमें अतीत और भविष्य से मुक्त होकर वर्तमान में जीना सिखाता है। साध्वी कार्तिकप्रभा जी ने ध्यान का प्रयोग कराया, साध्वी चिन्तनप्रभा जी ने गीतिका प्रस्तुत की और साध्वी सुमनप्रभा जी ने अन्तगडदसाओ का वाचन किया। उत्तरी दिल्ली महिला मंडल ने मंगलाचरण प्रस्तुत किया।
भगवती संवत्सरी महापर्व के अवसर पर साध्वी सुव्रता जी ने भगवान महावीर के जीवन, जैन धर्म के प्रभावशाली आचार्यों और महासती चंदनबाला के प्रेरक प्रसंगों का विस्तृत वर्णन किया। साध्वी सुमनप्रभा जी ने अन्तकृद्दशा आगम के आधार पर गजसुकुमाल और अर्जुनमाली के जीवन का विवेचन किया।
साध्वी कार्तिकप्रभा जी ने विपाकसूत्र और तेरापंथ की यशस्वी आचार्य परंपरा के जीवन संदर्भ प्रस्तुत किए। साध्वी चिन्तनप्रभा जी ने जैन धर्म और तेरापंथ धर्मसंघ के साहित्य के रोचक एवं प्रेरक इतिहास की अभिव्यक्ति दी। तेरापंथी महासभा के उपाध्यक्ष संजय खटेड ने आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी के जीवन प्रसंगों को भावपूर्ण रूप से प्रस्तुत किया।