संबोधि

स्वाध्याय

-आचार्यश्री महाप्रज्ञ

संबोधि

रंगों का शरीर पर प्रभाव
लाल : स्नायुमंडल को स्फूर्ति देना।
नीला : स्नायविक दुर्बलता, धातुक्षय, स्वप्न दोष में लाभ पहुंचाना और हृदय तथा मस्तिष्क को शक्ति देना।
पीला : मस्तिष्क की शक्ति का विकास, कब्ज, यकृत और प्लीहा के रोगों को शांत करने में उपयोगी।
हरा : ज्ञान-तंतुओं और स्नायु-मंडल को बल देना, वीर्य-रोग के उपशम में उपयोगी।
गहरा नीला : गर्मी की अधिकता से होने वाले आमाशय संबंधी रोगों के उपशमन में उपयोगी।
शुभ्र : नींद के लिए उपयोगी।
नारंगी : दमा तथा वात-व्याधियों के रोगों को मिटाने में उपयोगी।
बैंगनी : शरीर के तापमान को कम करने में उपयोगी।
रंगों का मन पर प्रभाव
काला रंग मनुष्य में असंयम, हिंसा और क्रूरता के विचार उत्पन्न करता है।
नीला रंग मनुष्य में ईर्ष्या, असहिष्णुता, रसलोलुपता और आसक्ति का भाव उत्पन्न करता है।
कापोत रंग मनुष्य में वक्रता, कुटिलता और दृष्टिकोण का विपर्यास उत्पन्न करता है।
अरुण रंग मनुष्य में ऋजुता, विनम्रता और धर्म-प्रेम उत्पन्न करता है।
पीला रंग मनुष्य में शांति, क्रोध, मान, माया और लोभ की अल्पता व इन्द्रिय-विजय का भाव उत्पन्न करता है।
सफेद रंग मनुष्य में गहरी शांति और जितेन्द्रियता का भाव उत्पन्न करता है।
मानसिक विचारों के रंगों के विषय में एक दूसरा वर्गीकरण भी मिलता है, जिसका प्रथम वर्गीकरण के साथ पूर्ण सामंजस्य नहीं है। यह इस प्रकार है :
विचार रंग
भक्तिविषयक आसमानी
कामोद्वेगविषयक लाल
तर्कवितर्कविषयक पीला
प्रेमविषयक गुलाबी
स्वार्थविषयक हरा
क्रोधविषयक लाल-काले रंग का मिश्रण
इन दोनों वर्गीकरणों के तुलनात्मक अध्ययन से प्रतीत होता है कि प्रत्येक रंग दो प्रकार का होता है-प्रशस्त और अप्रशस्त।