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223वाँ आचार्य श्री भिक्षु चरमोत्सव के उपलक्ष्य में विविध आयोजन
मुनि डॉ. ज्ञानेन्द्र कुमार जी एवं मुनि रमेश कुमार जी के सान्निध्य में 223वां भिक्षु चरमोत्सव तथा राजेन्द्र भंसाली के मासखमण (30 दिन) एवं प्रवेश बैद (17 दिन) के तप के उपलक्ष्य में तेरापंथ धर्मस्थल में भव्य समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। मासखमण तप साधक राजेन्द्र भंसाली के परिवार द्वारा भव्य जुलूस निकाला गया, जो छत्रीबाड़ी स्थित करणीदान बिनोद दुगड़, गोल्डन हाइट्स के सामने से प्रारंभ होकर तेरापंथ धर्मस्थल पहुँचा और धर्मसभा के रूप में परिणत हुआ। मुनि डॉ. ज्ञानेन्द्र कुमार जी ने अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि तेरापंथ धर्मसंघ के आद्य प्रवर्तक आचार्य श्री भिक्षु ने तपस्या में ही तेरापंथ धर्मसंघ की नींव रखी थी। जिस धर्मसंघ का निर्माण और गुणगान तप से हुआ, जिसका प्रत्येक दिन तप में व्यतीत होता है — वह धर्मसंघ अपने आप में तेजस्वी होता है। मुनिश्री ने आचार्य भिक्षु जन्म त्रिशताब्दी वर्ष पर मासखमण एवं 17 उपवास की तपस्या समर्पित करने वाले तपस्वियों के प्रति मंगलभावना व्यक्त की।
मुनि रमेश कुमार जी ने कहा कि आचार्य भिक्षु ने केवल उर्वर भूमि पर बीज बोया ही नहीं, बल्कि उसमें प्राण ऊर्जा का संचार भी किया। वही बीज आज कल्पवृक्ष का रूप लेकर खड़ा है, जिसकी शीतल छाया में हम सब साधनारत हैं। आचार्य भिक्षु सत्यग्राही थे — उन्होंने अपने शिष्यों को सत्य की कसौटी पर कसा, जिसका भव्य स्वरूप आज तेरापंथ धर्मसंघ के रूप में हमारे सामने है। मुनिश्री ने कहा कि गुवाहाटी में इन दिनों तपस्या का रंग छाया हुआ है, यह वर्ष तपोभूमि के रूप में प्रतिष्ठित हो रहा है। तपोत्सव का शुभारंभ मुनि डॉ. ज्ञानेन्द्र कुमार जी ने नमस्कार महामंत्रोच्चारण से किया। समारोह का कुशल संचालन मुनि पद्म कुमार जी ने किया। साध्वीप्रमुखा श्री विश्रुतविभा जी के संदेश का वाचन सभा मंत्री राजकुमार बैद ने किया, जबकि राजेन्द्र भंसाली की संसारपक्षीय बहन साध्वी प्रबलयशा जी का संदेश भी वाचन किया गया। तपस्वियों का सम्मान तेरापंथी सभा अध्यक्ष बाबूलाल सुराणा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष पवन जम्मड़, महिला मंडल अध्यक्ष सुशीला मालू, तेयुप मंत्री हितेश चोपड़ा, तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम अध्यक्ष पंकज भूरा, अणुव्रत समिति की सहमंत्री डॉ. सारिका दुगड़, पूर्वोत्तर भारत स्तरीय तेरापंथ सभा अध्यक्ष बजरंग कुमार सुराणा, रितेश खटेड़, रंजीत एवं दीपक भंसाली, सुरेश नाहटा, विजयराज डोसी, विजय पटवा आदि ने वक्तव्य, गीतिका, मुक्तक एवं नाटिका के माध्यम से किया।नन्ही बालिका सान्वी भंसाली ने तपस्या पर रोचक परिसंवाद प्रस्तुत किया।