खुशहाल दाम्पत्य जीवन के रहस्य पर कार्यशाला का आयोजन

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यशवंतपुर।

खुशहाल दाम्पत्य जीवन के रहस्य पर कार्यशाला का आयोजन

साध्वी सोमयशा जी के सान्निध्य में यशवंतपुर सभा भवन में 'खुशहाल दांपत्य जीवन के रहस्य' विषयक पारिवारिक कार्यशाला का आयोजन तेरापंथ भवन में हुआ। कार्यशाला का शुभारंभ साध्वीश्री ने नमस्कार महामंत्र द्वारा किया। सभा अध्यक्ष सुरेश बरडिया ने सभी का स्वागत करते हुए कहा कि तेरापंथ भवन में सभा के तत्वावधान में इस प्रकार की कार्यशाला का यह प्रथम आयोजन है। सुनील-वनीता बोल्या ने एक लघु नाटिका प्रस्तुत की, जबकि छह युगल जोड़ों ने सामूहिक मंगलाचरण किया। साध्वी सोमयशा जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि हमारी दुनिया रिश्तों की दुनिया है, जहाँ हर व्यक्ति एक डोर से बंधा हुआ है। एक महत्वपूर्ण रिश्ता दांपत्य का है, जो परिवार में सुख, शांति और वैभव फैलाने का माध्यम बनता है। यह रिश्ता विवाह से जुड़ता है – वि का अर्थ विश्वास, वा का अर्थ वादा, और हा का अर्थ है हाथ मिलाकर साथ निभाना। साध्वीश्री ने समझाया कि हाथ की प्रत्येक उंगली रिश्तों का रक्षा कवच है। उन्होंने बताया कि कहना सीखे, रहना सीखे, सहना सीखे — यही दांपत्य जीवन की सफलता का मूल मंत्र है। इससे संबंधित एक जप भी उन्होंने सिखाया। साध्वी सरलयशा जी ने टॉक शो के माध्यम से अपने विचार प्रस्तुत किए और सबमें नई ऊर्जा और खुशहाली का संचार किया। साध्वी ऋषिप्रभा जी ने कार्यक्रम का कुशल संचालन करते हुए दांपत्य जीवन को खुशहाल बनाए रखने के उपयोगी सुझाव दिए।
प्रशिक्षक संजय धारीवाल ने विशेष प्रशिक्षण सत्र के दौरान कहा कि हम भाग्यशाली हैं कि हमें जैन धर्म मिला है और आचार्यश्री महाश्रमण जी की अनुशासना तथा साधु-साध्वियों के सान्निध्य में सीखने का अवसर प्राप्त होता है। उन्होंने बताया कि खुशहाल दांपत्य जीवन का रहस्य भगवान महावीर के सिद्धांतों — अनेकांतवाद, अहिंसा और अपरिग्रह — को जीवन में अपनाने में निहित है। उन्होंने कहा कि अपने मन, वचनों और व्यवहार पर नियंत्रण रखें, अपनी बॉडी लैंग्वेज सुधारें और स्वयं को समझने का प्रयास करें। जैसे हम मोबाइल के फीचर्स समझने के लिए समय देते हैं, वैसे ही स्वयं को समझने के लिए भी एक दिन का समय दें। अपनी खूबियों को जानें, कमियों पर विचार करें और उन्हें सुधारने का प्रयास करें। जीवन को मोबाइल से अधिक मूल्यवान समझें और उसका सदुपयोग करें। ाध्वी सोमयशा जी ने विशेष रूप से कहा कि सप्ताह में एक दिन भोजन और भजन परिवार के साथ करना चाहिए तथा प्रतिदिन 'ओम ऐं नमो लोए सव्वसाहूणं' की एक माला का जप अवश्य करना चाहिए। बहादुर सेठिया ने अपने विचार व्यक्त किए। कार्यशाला में सहभागी जोड़ों के लिए जिज्ञासा-समाधान का एक सत्र भी आयोजित किया गया। विभिन्न आयु वर्ग के लगभग 50 युगल इस कार्यशाला में शामिल हुए।
इस आयोजन में महिला मंडल अध्यक्ष रेखा पीतलिया, सभा सहमंत्री सुनील बाबेल और युवक परिषद अध्यक्ष धर्मेश डूंगरवाल का विशेष योगदान रहा। कार्यशाला के संयोजक रहे — सभा की ओर से निर्मल बाफना, परिषद की ओर से दीपक बाबेल और महिला मंडल की ओर से लाडली मुथा। कार्यक्रम के अंत में महिला मंडल मंत्री टीना पीतलिया ने आभार ज्ञापन किया।