दक्षिणांचल स्तरीय कन्या कार्यशाला 'ज्योतिर्मय'
अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल के तत्वावधान में तेरापंथ महिला मंडल विजयनगर के आयोजन में तेरापंथ कन्या मंडल विजयनगर द्वारा ‘ज्योतिर्मय - एनलाइटेन योरसेल्फ, एनलाइटेन द वर्ल्ड’ नामक दो दिवसीय दक्षिणांचल स्तरीय कन्या कार्यशाला का शुभारंभ अर्हम भवन विजयनगर बैंगलोर के प्रांगण में किया गया, जिसमें 21 क्षेत्रों से लगभग 250 कन्याओं ने भाग लिया।
कार्यशाला का प्रथम सत्र ‘अरुणोदय - वेलकम टू द न्यू एरा’ का शुभारंभ साध्वी सिद्धप्रभा जी ठाणा 4 के सान्निध्य में राष्ट्रीय अध्यक्ष सरिता डागा की अध्यक्षता में किया गया। कन्या मंडल विजयनगर द्वारा सुमधुर मंगलाचरण किया गया तथा कन्या शक्ति को दर्शाते हुए वीडियो क्लिप के माध्यम से प्रस्तुति दी गई। राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य माला कातरेला ने परम पूज्य आचार्य श्री महाश्रमण जी के संदेश का वाचन किया। रा. कार्य. स. अनीता बरडिया ने साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभाजी के संदेश का वाचन किया। तेममं विजयनगर की अध्यक्ष मंजू गदिया ने स्वागत वक्तव्य दिया। राष्ट्रीय अध्यक्ष सरिता डागा ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा हमें अपने सफ़र की शुरुआत किसी न किसी बिंदु से करनी पड़ती है, तभी मंजिल प्राप्त होती है। कन्या जीवन जीने की कला सीखते हुए नवीन सृजन की और कदम बढ़ाए। हम अपनी योग्यता और हुनर के साथ-साथ संस्कृति की गरिमा बनाए रखते हुए आगे बढ़ें और ज्योतिर्मय बने।
साध्वी सिद्धप्रभा जी ने अपने वक्तव्य में कहा कि आज कन्याओं और महिला मंडल का जो स्वरूप हमारे सामने है वह गणाधिपति गुरुदेव तुलसी के अथक परिश्रम और उर्वरक चिंतन का प्रतिफल है। शिक्षा के साथ-साथ कन्याएं हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रही है ऐसे में करियर के साथ-साथ परिवार में भी सामंजस्य बनाए रखना है। इसके लिए साध्वीश्री जी ने तीन सूत्र दिए - कहना सीखो, रहना सीखो और सहना सीखो।
राष्ट्रीय कन्या मंडल प्रभारी अदिति सेखानी ने कहा कि उन्नत परिवार, राष्ट्र और समाज में कन्या की अहम् भूमिका है। महामंत्री नीतू ओस्तवाल ने अपने वक्तव्य के द्वारा कन्याओं से कहा कि ईश्वर ने सभी के भीतर कुछ ना कुछ योग्यता दी है, हमें अपने भीतर की शक्ति को पहचानना है तभी हम स्वयं ज्योतिर्मय बनाकर दूसरे को ज्योतिर्मय बना सकते हैं। राष्ट्रीय कन्या सह प्रभारी सोनम बागरेचा ने कन्याओं की कार्य क्षमता और शक्ति को बताते हुए कहा कि यह कार्यशाला ‘फार द गर्ल, बाई द गर्ल, टू द गर्ल’ की थीम पर आधारित है।
सभा अध्यक्ष मंगल कोचर ने कन्या मंडल और महिला मंडल को कार्यशाला के सफल आयोजन के लिए शुभकामनाएं प्रेषित की। अभातेयुप राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पवन मांडोत एवं टीपीएफ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हिम्मत मांडोत ने शुभकामनाएं प्रेषित की। विजयनगर कन्या मंडल ने 2023-24 में किए गए विभिन्न कार्यक्रमों की जानकारी वीडियो क्लिप द्वारा प्रदान की। परिचय प्रस्तुति कन्या शक्ति के अंतर्गत कर्नाटक, तमिलनाडु तथा हैदराबाद की कन्याओं द्वारा प्रस्तुति दी गई। कार्यक्रम के सफल आयोजन में विशेष सहयोग हेतु प्रायोजक परिवारों का सम्मान विजयनगर मंडल द्वारा किया गया। सत्र का संचालन विजयनगर कन्या मंडल से जाह्नवी कावड़िया एवं तन्वी मांडोत ने किया तथा आभार ज्ञापन मंड्या कन्या मंडल संयोजिका चेष्टा बुरड़ ने किया।
कार्यशाला के दूसरे सत्र ‘तेजस्विता’ का शुभारंभ यशवंतपुर कन्या मंडल द्वारा मंगलाचरण से किया गया। इस सत्र के अंतर्गत सात क्षेत्र की कन्याओं ने ‘मेरे सपनों का कन्या मंडल’ विषय पर अपनी प्रस्तुतियां दी। तीसरे सत्र ब्रिज बिल्डर में राष्ट्रीय कन्या मंडल सह प्रभारी सोनम बागरेचा द्वारा कन्याओं की 15 टीमों को विभिन्न विषयों पर एक निश्चित समय में रील बनाने का काम दिया गया। बेस्ट रील के निर्णायक कर्नाटक प्रभारी मधु कटारिया एवं तेलंगाना एवं केरल प्रभारी अनीता बरडिया रहे। सत्र का कुशल संचालन हुबली कन्या मंडल से भावना बागरेचा ने किया।
चतुर्थ सत्र ‘द वाइस ऑफ केएम’ में अभातेममं से माला कातरेला ने विभिन्न प्रश्नों के माध्यम से कन्याओं को चहुंमुखी विकास, व्यक्तित्व विकास, सशक्तिकरण के विभिन्न सूत्रों एवं मापदंडों से अवगत कराते हुए कन्याओं में सामाजिक, पारिवारिक, आध्यात्मिक क्षेत्र में रुझान बढ़ने का प्रयास किया। साथ ही इस सत्र में कन्याओं की विभिन्न जिज्ञासाओं का समाधान भी साध्वी सिद्धप्रभा जी एवं अभातेममं के सम्मानीय सदस्यों द्वारा किया गया। साध्वी दीक्षाप्रभाजी ने अपने जीवन के अनुभवों को सुनाते हुए कन्याओं का मार्गदर्शन किया। कार्यक्रम का संचालन कन्या मंडल हनुमंत नगर द्वारा किया गया।
कार्यशाला के प्रथम दिन के अंतिम सत्र ‘आलोक- रिवाइव द रूट्स' सत्र का शुभारंभ शनिवारीय सामूहिक सामायिक के साथ हुआ। कन्या मंडल टी दासरहल्ली द्वारा मंगलाचरण की मधुर प्रस्तुति दी गई। साध्वी दीक्षाप्रभा जी ने कहा कि जिस तरह वृक्ष का महत्वपूर्ण अंग मूल होता है, इसी तरह हमारे जीवन की रूट है हमारी वैल्यू , हमारे आदर्श, हमारी संस्कृति। साध्वी आस्थाप्रभा जी ने स्प्रिचुअलटी पर अपने विचार व्यक्त हुए कहा कि जब हम इंद्रियों से बाहर की दुनिया देखते हैं तो वह कहलाता है भौतिकवाद और जब हम इंद्रियों को बंद कर अपनी भीतर झांकते हैं तो वह बन जाता है अध्यात्म। साध्वीश्री ने गीतों के आधार पर कन्याओं को एक रोचक गेम खेलाया। सत्र का संचालन आरआर नगर कन्या मंडल से आर्या संचेती एवं आभार सिंधनूर कन्या मंडल से स्नेहा नाहर ने किया।