मासखमण तप अभिनंदन समारोह का आयोजन
मुनि जिनेशकुमार जी ठाणा 3 के सान्निध्य में रिसड़ा प्रवासी सुमति बैद का मासखमण तप अभिनंदन समारोह का आयोजन प्रेक्षा विहार में साउथ हावड़ा श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा द्वारा किया गया। इस अवसर पर मुनिश्री ने कहा कि तप पूर्वार्जित कर्म पर्वतों को तोड़ने के लिए वज्र है। आंतरिक काम दावानल की ज्वालाओं को शांत करने के लिए यह शीतल जल है। भोगलुब्ध इंद्रिय रूपी सूर्य को बांधने का यह अमोघ मंत्र है। तपस्या आत्मशुद्धि का उत्तम मार्ग है। करोड़ों भवों से संचित कर्म तपस्या से जीर्ण होकर झड़ जाते हैं। बहन सुमति बैद ने मासखमण तप कर बहुत ही साहस का परिचय दिया है। यह तप इस चातुर्मास का आठवां मासखमण तप है। मुनिश्री ने सुमति बैद को 31 की तपस्या का प्रत्याख्यान करवाया। तप अनुमोदना में अनेक भाई-बहनों ने तप करने का संकल्प व्यक्त किया। साउथ हावड़ा श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा के अध्यक्ष लक्ष्मीपत बाफना ने तपस्वी बहन का अभिनंदन करते हुए साध्वी प्रमुखा विश्रुतविभाजी के संदेश का वाचन किया। डॉ. साध्वी सम्पूर्णयशा जी द्वारा लघु भगिनी को प्रदत तप संदेश का वाचन मुनि कुणाल कुमार जी ने किया। पारिवारिक बहनों और भाइयों ने पृथक्-पृथक् गीत का संगान किया। आभार सभा के मंत्री बसंत पटावरी ने व संचालन मुनिश्री परमानंद ने किया।