ज्ञानशाला दिवस पर विविध आयोजन
मुनि प्रशांतकुमार जी के सान्निध्य में ज्ञानशाला दिवस का आयोजन हुआ। जनसभा को संबोधित करते हुए मुनि प्रशांतकुमार जी ने कहा- ज्ञानशाला हमारे जीवन निर्माण की शाला है। जीवन में संस्कारों का जागरण अपेक्षित है। संस्कारी बच्चे समाज की नींव को मजबूत बनाते हैं। जीवन की बहुत सारी बुराइयां सुसंस्कारों के कारण से अपने आप रुक जाती है। संस्कारी व्यक्तित्व कितनों के जीवन में प्रेरणा का कार्य करता है। जागरूक अभिभावक बच्चों के भविष्य को सुखद बना देते हैं। गुरुदेव श्री तुलसी ने भावीपीढ़ी को सशक्त बनाने के लिए ज्ञानशाला का उपक्रम समाज के सामने रखा। अभिभावक बच्चों की शिक्षा के साथ गतिविधियों की तरफ जागरूकता रखते हैं उतनी ही जागरूकता संस्कार निर्माण-जीवन निर्माण की ओर रखते हैं तो एक प्रेरणादायी जीवन का निर्माण होता है। सभा अपना दायित्व निभा रही है। ज्ञानशाला के प्रशिक्षिकगण बहुत साधुवाद के पात्र हैं। मुनि कुमुद कुमार जी ने कहा- गुरुदेव श्री तुलसी एवं वर्तमान अधिशास्ता आचार्य श्री महाश्रमणजी का समाज सदैव कृतज्ञ रहेगा। जिन्होंने समयानुकूल अनमोल तत्व ज्ञानशाला के रूप में दिया। समाज में बढ़ते अपराध इस बात के साक्षी हैं कि परिवेश, वातावरण एवं संस्कारों का योग सम्यक् नहीं मिला। ज्ञानशाला के प्रति उदासीनता भावी जीवन के लिए प्रश्नचिन्ह है। प्रशिक्षक एवं स्थान की उपलब्धता करने वाले व्यक्ति साधुवाद के पात्र हैं। ये व्यक्तित्व निर्माण के साथ स्वयं के कर्मों की निर्जरा भी कर रहे हैं। नारायण नगर ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अर्हम् गीत प्रस्तुत किया। रिहाबाड़ी, जी.एस. रोड एवं तेरापंथ धर्मस्थल के ज्ञानार्थियों ने गुरुदेव श्री तुलसी, आचार्य श्री महाश्रमणजी एवं ज्ञानशाला की महत्ता के बारे में बताया। मुख्य प्रशिक्षिका ममता पुगलिया ने विचार व्यक्त किए। समता भवन से ज्ञानशाला रैली प्रारंभ होकर विभिन्न स्थानों पर ज्ञानशाला की उपयोगिता का संदेश देती हुई तेरापंथ धर्मस्थल पहुंची। कार्यक्रम में सभा, तेरापंथ युवक परिषद् एवं ज्ञानशाला प्रशिक्षकों का योग रहा।