चित्त समाधि शिविर का आयोजन

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चित्त समाधि शिविर का आयोजन

जोरावरपुर। ‘शासनश्री’ साध्वी शशिरेखाजी के सान्निध्य में अभातेममं निर्देशित चित्त समाधि शिविर कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत नमस्कार महामंत्र व प्रेरणा गीत के साथ की गई। साध्वी श्री ने चित्त की निर्मलता के बारे में बताते हुए कहा कि चित्त समाधि अर्थात शांति से जीना। जहां प्रेम होता है, सहिष्णुता होती है, सहभागिता होती है, मानसिक शांति होती है, वहां चित्त की निर्मलता बरकरार रहती है। जैन दर्शन में सहना, समभाव से रहना, स्थितियों परिस्थितियों को सहना कर्म निर्जरा बताया गया है। वह भी चित्त की निर्मलता से ही संभव है। साध्वी कांतप्रभाजी ने मंगल भावना का प्रयोग करवाया। साध्वी मृदुलाश्री जी ने अपने विचार व्यक्त किए। कन्या मंडल सहसंयोजिका हर्षिता मरोठी ने भी अपने भावों की अभिव्यक्ति दी। जोरावरपुरा महिला मंडल द्वारा चित्त समाधि गीतिका का संगान किया गया।