सिद्धि तप का अभिनन्दन समारोह आयोजित

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सिद्धि तप का अभिनन्दन समारोह आयोजित

मुनि प्रशांतकुमार जी के सान्निध्य में सिद्धि तप करने वाली श्राविका लीला देवी महनोत (धर्मपत्नी सिखर चंद महनोत) का सिद्धि तप अभिनन्दन समारोह आयोजित किया गया। मुनि प्रशांत कुमार जी ने कहा- तपस्या से कितनी-कितनी निर्जरा होती है। पुराने पाप कर्म नष्ट हो जाते हैं। ज्ञान, दर्शन, चारित्र, तप में आगे बढ़ने का महत्व होता है। तपस्या का ही अभिनन्दन होता है, उसी की ही अनुमोदना की जाती है। संघ-समाज का गौरव बढ़ता है। भगवान महावीर के समय धन्ना अणगार जैसे महान तपस्वी हुए हैं। भगवान महावीर ने फरमाया शक्ति का संगोपन नहीं करें। अपने सामर्थ्य के अनुसार अध्यात्म में अपने आपको लीन करें।
शरीर का उपयोग धर्म में करें। जीवन का सच्चा आनन्द भोग में नहीं, त्याग में है। लीला देवी महनोत ने सिद्धि तप जैसा कठिन तप किया है। सभी इनसे प्रेरणा लें। मुनि कुमुदकुमार जी ने कहा- जिनशासन में मोक्ष प्राप्ति के लिए आत्मसाधना की जाती है। तपस्या करने वाला साधक तप के साथ-साथ पंचाचार की साधना करता है। आचार्यों की पुण्याई से छहमासी, बारहमासी तप करने वाले अनेकों साधक हैं। लीला देवी महनोत ने सिद्धि तप कर कठिन कार्य किया है। इनसे प्रेरणा प्राप्त कर तप में आगे बढ़ें। महिला मंडल ने गीत के द्वारा एवं सभा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष पवन जम्मड़ ने वक्तव्य के द्वारा अनुमोदना की। सभा की ओर से अभिनन्दन-पत्र माणक बोरड़ ने प्रदान किया। तेरह सदस्यों ने तेला का संकल्प लेकर साहित्य भेंट किया।