विसर्जन का प्रतीक है विकास महोत्सव : आचार्यश्री महाश्रमण
भाद्रव शुक्ला नवमी। आज ही के दिन पूज्य गणाधिपति गुरुदेव श्री तुलसी पूज्य कालूगणी के अनन्तर पट्टधर हुए थे, पट्टासीन हुए थे। इस दिन को हमारे धर्म संघ के दशम् गुरु आचार्यश्री महाप्रज्ञजी ने विकास महोत्सव के रूप में मनाने का निर्णय किया था। 31वें विकास महोत्सव के अवसर पर परम पूज्य आचार्य श्री महाश्रमण जी के पावन सान्निध्य में होने जैन भागवती दीक्षा होने जा रही है।
वीतराग कल्प विकास पुरुष आचार्यश्री महाश्रमणजी ने 31वें विकास महोत्सव के अवसर पर पावन प्रेरणा प्रदान कराते हुए फरमाया कि सन्यास का मानो एक उद्घोष है कि मैंने अतीत में जो प्रमाद किया है, वह मैं अब नहीं करूंगा। आज साधु दीक्षा का प्रसंग है। आज्ञा पत्र प्राप्त हो चुके हैं फिर भी मैं मौखिक आज्ञा और लेना चाहता हूं। पूज्यप्रवर ने पारिवारिक जनों की आज्ञा ली, दीक्षार्थी बहनों की भी स्वीकृति ली।
श्रमण भगवान महावीर, आचार्य श्री भिक्षु एवं उत्तरवर्ती आचार्य परम्परा, गुरुदेव श्री तुलसी एवं आचार्यश्री महाप्रज्ञजी को स्मरण कर नमस्कार महामंत्र के मंगल समुच्चारण के साथ पूज्य प्रवर ने दीक्षार्थी ऋजुल मेहता एवं दीक्षार्थी दीप्ति वेदमुथा को तीन करण तीन योग से यावज्जीवन के लिए सर्व सावद्य योग का त्याग करवाया और पावन आर्षवाणी से अतीत की आलोचना करवायी।
पूज्य प्रवर के निर्देशानुसार साध्वी प्रमुखाश्री विश्रुतविभाजी ने दोनों नवदीक्षित साध्वियों का केशलोच संस्कार किया। पूज्य प्रवर ने रजोहरण प्रदान कराने से पहले आर्षवाणी का उच्चारण कर ज्ञान, दर्शन, चारित्र, क्षांति, मुक्ति में वर्धमान रहने का आशीष दिराया। साध्वीप्रमुखाश्री ने दोनों साध्वियों को रजोहरण प्रदान किया। नामकरण संस्कार के साथ दीक्षार्थी ऋजुल मेहता को साध्वी धन्यप्रभा एवं दीक्षार्थी दीप्ति वेदमुथा को साध्वी देवार्यप्रभा का नूतन नाम प्रदान किया गया। विकास पुरुष ने फरमाया कि भाद्रव शुक्ला नवमी का दिन।
यह दिन वर्षों तक आचार्यश्री तुलसी के पाट महोत्सव दिवस रूप में मनाया जाता रहा है। सुजानगढ़ में 1994 में गणाधिपति ने महाप्रज्ञजी को आचार्य पद पर पदासीन कराया था। दिल्ली चतुर्मास में घोषणा करवायी कि अब मेरा पट्टोत्सव नहीं मनाया जाए। आचार्यश्री तुलसी के पट्टोत्सव के दिन को आचार्य श्री महाप्रज्ञ ने इस दिन को विकास महोत्सव के रूप में स्थापित किया। विकास महोत्सव विसर्जन का प्रतीक है, अनुशासन में विकास होता रहे। आचार्यों के आचार्यकाल का एक दशक पूर्ण हुआ। एकादशम् शासनकाल गतिमान है।
जीवन में विकास अनिवार्य है। पुराने-नये में विवेक अपेक्षित है। पुरानी बात अच्छी है। उसके साथ नये विरास को भी जोड़ें। विकास में परिष्कार की अपेक्षा है। पूज्य प्रवर ने आगे फरमाया कि विकास महोत्सव संघ विकास के लिए आधार रहेगा।
आज तेरापंथ विकास परिषद् के सदस्य उपस्थित हैं। ये अनुभवी हैं, समाज को धार्मिक-आध्यात्मिक निर्देश देते रहें। विकास महोत्सव के अवसर पर पूज्य प्रवर ने तीन बाईयों को मुमुक्षु श्रेणी में प्रवेश की आज्ञा प्रदान की। विकास महोत्सव पर सुमधुर गीत 'धर्म प्रभावित जिन्दगी हो’ का सुमधुर संगान करवाया। इस अवसर पर आचार्य प्रवर ने साधु-साध्वियों एवं समणियों को चातुर्मास के पश्चात विहार के निर्देश भी प्रदान किए।
साध्वी प्रमुखाश्री विश्रुतविभाजी ने अपने मंगल उद्बोधन में कहा कि तेरापंथ धर्मसंघ एक विकासशील धर्म संघ है। निरन्तर प्रगति के पथ पर आरोहण कर रहा है।
आचार्य भिक्षु ने तेरापंथ के विकास का बीजारोपण किया था। जयाचार्य विकास पुरोधा थे। गुरुदेव तुलसी विकास के श्लाका पुरुष थे। उन्होंने नैतिक मूल्यों को प्रतिष्ठित करने के लिए अणुव्रत आन्दोलन शुरू किया था। तनावग्रस्त मानव को तनाव से मुक्त करने के लिए प्रेक्षा ध्यान दिया। जीवन का रुपान्तरण कर रहे शिक्षा जगत की समस्याओं को समाहित करने के लिए जीवन विज्ञान का उपक्रम दिया। तेरापंथ धर्मसंघ में विकास का माध्यम है दीक्षा। तेजस्वी साधु-साध्वियां हमारे धर्मसंघ में दीक्षित हुए हैं।
साध्वीवर्या संबुद्धयशाजी ने कहा कि आचार्य श्री तुलसी परानुकंपी थे। उन्हें सृजनशीलता में विश्वास था। सृजनता की श्रृंखला में अनेक अवदान धर्मसंघ को दिये। वे सर्वांगीण विकास के मंत्र दाता थे। उनका जीवन जैन शासन के विकास के लिए समर्पित था। उन्होंने तेरापंथ समाज का भी बहुत कल्याण किया। आचार्य श्री महाश्रमण जी भी विकास के लिए यात्राएं करवा रहे हैं, क्षेत्रों की संभाल कर रहे हैं।
साध्वी वृंद ने 'है विकास का उत्सव गण को महाप्रज्ञ उपहार' का सुमधुर सामूहिक संगान किया। तेरापंथ महिला मंडल सूरत ने विकास महोत्सव के उपलक्ष में गीत का संगान किया। विकास परिषद के संयोजक अजातशत्रु मांगीलाल सेठिया ने विकास महोत्सव के इतिहास एवं अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि विकास का मुख्य आधार सक्षम आचार्यों का नेतृत्व है।हमारे धर्म की अनेक संस्थाएं धर्मसंघ के विकास व श्रीवृद्धि करने में निरन्तर गतिशील हैं। विकास परिषद के सदस्य पदमचंद पटावरी ने कहा कि विकास यात्रा को तेजस्वी बनाने में पूज्य प्रवर का योगदान रहा है। आपने जो किया, वो कीर्तिमान हो गया। तेरापंथ के विकास में श्रावक समाज के योगदान का उल्लेख करते हुए उन्होंने आचार्य प्रवर से निवेदन किया कि आषाढ़ शुक्ला त्रयोदशी को श्रावक समाज के शौर्य का दिन घोषित कराने की कृपा करावें। बनेचन्द मालू ने कहा कि विकास में हमें सर्वांगीण दृष्टिकोण रखना होगा, साहित्य पठन से हमारा दृष्टिकोण खुलेगा। देश में बढ़ रहे जल संकट, पर्यावरण संकट के समाधान हेतु भी हमें चिंतन करना होगा।
दीक्षा समारोह से पूर्व मुमुक्षु अंजली सिंघवी ने दीक्षार्थी बहनों का परिचय दिया। पारमार्थिक शिक्षण संस्था के अध्यक्ष बजरंग जैन ने आज्ञा-पत्र का वाचन किया। दीक्षार्थी ऋजुल मेहता व दीप्ति वेदमुथा ने अपनी भावना श्री चरणों में अभिव्यक्त की। बाव के राणा गजेन्द्र सिंह ने अपनी भावना अभिव्यक्त की। संघगान के साथ विकास महोत्सव का आयोजन संपन्न हुआ। कार्यक्रम का कुशल संचालन कराते मुनि दिनेशकुमार जी ने किया।