कर्म निर्जरा कर मोक्ष की ओर आगे बढ़ना है जीवन का लक्ष्य : आचार्यश्री महाश्रमण
तेरापंथ धर्म संघ के एकादशम् अधिशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण जी से मंगल देशना प्रदान कराते हुए फरमाया कि आयारो आगम में कहा गया है- आदमी के भीतर आशा, लोभ, तृष्णा की वृत्ति होती है। इन्द्रिय सुखों में वर्तन करने की मनोवृत्ति भी हो सकती है। हमारे भीतर अनादि काल से मोहनीय कर्म हैं। मोहनीय कर्म के भीतर राग-द्वेष व लोभ वृत्ति की चेतना रहती है। जो वीतराग बन जाते हैं, उनमें मोहनीय कर्म की वह लोभ की वृत्ति नहीं रहती।
आदमी संतोष की ओर बढ़ता है, तो लोभ और लालच कम भी हो सकता है। लोभ होता है तो आदमी पदार्थ पाने की इच्छा करता है। इच्छित वस्तु नहीं मिलती है, कामना की पूर्ति नहीं होती है तो फिर आदमी में गुस्सा-दुःख भी हो सकता है। दुःख का एक बड़ा कारण कामना-लालसा है। हमारी दुनिया में दुःख है, दुख के कारण भी हैं, तो दुःख मुक्ति भी है, दुःख मुक्ति के कारण भी हैं। आश्रव-आसक्ति ये दुःख का कारण है। दुःख मुक्ति या मोक्ष के कारण है- संवर और निर्जरा। कर्म मुक्ति से सर्व दुःख मुक्ति हो सकती है। भोगों की अभिलाषा आशा है और इन्द्रिय सुखों की वृत्ति छंद है। आशा और छन्द को जो छोड़ देता है, वह परम सुख को प्राप्त होता है। लालसा, कामना को छोड़ने के लिए आदमी संतोष का अभ्यास, अनुप्रेक्षा करे। अलोभ की चेतना को पुष्ट करने के लिए अलोभ की अनुप्रेक्षा करे।
जो मूढ़ लोग होते हैं वे असंतोष में परायण होते हैं, पंडित-साधक लोग सन्तोष को धारण करते हैं। भौतिक दुनिया में पैसा ईश्वर की तरह होता है। आवश्यकता पूर्ति पैसे से हो जाती है। पैसा तो जीवन चलाने का साधन है पर जीवन का लक्ष्य तो कर्म निर्जरा कर मोक्ष की ओर आगे बढ़ना है। हम अच्छे लक्ष्य के साथ जीवन चलाएं। अच्छा लक्ष्य है- कर्मों का क्षय करना। धर्म की साधना मुख्यतया मोक्ष प्राप्ति के लिये ही है। वृद्ध होने पर भी आदमी लालसा-आशा को नहीं छोड़ता पर वृद्ध आदमी को संतोष धारण करना चाहिये। इन्द्रिय सुख को छोड़ने का प्रयास होना चाहिये। अपने लिए जो आवश्यक है उनको रखूं, बाकि का संग्रह नहीं करूं। अणुविभा अध्यक्ष अविनाश नाहर ने इस वर्ष के पुरस्कारों की घोषणा की। TPF की 13वीं राष्ट्रीय वार्षिक सभा के संदर्भ में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नवीन चोरड़िया ने अपनी भावना व्यक्त करते हुए TPF गौरव पुरस्कार विजय कोठारी, अहमदाबाद को देने की घोषणा की। विजय कोठारी ने अपनी भावना अभिव्यक्त की।