
मासखमण तप अभिनंदन
पश्चिम नवरंगपुरा। साध्वी मधुस्मिताजी की प्रेरणा से ममता धर्मपत्नी किशोर पालगोता मूल निवासी टापरा ने ३३ की तपस्या का प्रत्याख्यान किया। साध्वी श्री ने अपने उद्बोधन में कहा कि तपस्या करना वीरों का काम है। गणधर गौतम ने भगवान महावीर से पूछा- भंते! जंबू द्वीप के चारों ओर लवण समुद्र है, द्वीप पानी से गिरा हुआ है, लेकिन इस समुद्र के पानी से यह जंबू द्वीप डूबता क्यों नहीं है? तब भगवान ने कहा हे गौतम! जब तक यहां पर तीर्थंकर, गणधर, तपस्वी लोगों का विचरण रहेगा, पानी अपनी सीमा का उल्लंघन नहीं करेगा, जंबू द्वीप सुरक्षित रहेगा। साध्वी श्री ने तप अनुमोदना में स्वरचित सुन्दर गीतिका का संगान किया। साध्वीप्रमुखाश्री का संदेश वाचन साध्वी सहजयशा जी ने किया गया। सभा अध्यक्ष सुरेश दक ने सभा की ओर से तपस्वी ममता के प्रति मंगल भावना व्यक्त की। साध्वी काव्यलताजी के सन्देश का वाचन सुरेश दक ने किया। धनराज तातेड, राजेंद्र बोथरा ने अपने भावों की अभिव्यक्ति दी। अणुव्रत विश्व भारती अध्यक्ष अविनाश नाहर एवं संचय जैन ने अणुव्रत की विश्व व्यापकता बढ़ाने की रुपरेखा प्रस्तुत की। कार्यक्रम का संचालन साध्वी सहजयशाजी ने किया।