अभातेममं के तत्वावधान में चित्त समाधि शिविर के विभिन्न कार्यक्रम
तेरापंथ युवक परिषद् एवं तेरापंथ महिला मंडल, पाली द्वारा मुनि सुमति कुमार जी ठाणा -3 के सान्निध्य में चित्त समाधि शिविर एवं तप अभिनंदन का कार्यक्रम आयोजित किया गया। मुनि सुमति कुमार जी ने कहा कि चित्त समाधि का अर्थ है कि हमारे मन में समाधि बनी रहे अर्थात मन में शांति बनी रहे। मुनिश्री ने कहा कि हमें सहिष्णुता और विनम्रता की साधना करनी चाहिए। हमारे भीतर सामंजस्य की भावना हो, एक दूसरे के विचारों को समझने का प्रयास करें। मुनिश्री ने आगे बताया कि जिसका मनोबल मजबूत होता है वही तप कर सकता है। तप से अशुभ कर्म कट जाते हैं, आत्मा हल्की बन जाती है। तपस्या की कोई उम्र नहीं होती है तपस्या तो भावना से जुड़ी होती है। मुनि देवार्य कुमार जी ने कहा- अतीत की जितनी भी नकारात्मक स्मृतियां हैं, उनको अपने दिमाग रूपी सूटकेस से खाली करदें और सकारात्मक स्मृतियों को स्थान दें। जैसे सफर में अत्यधिक सामान नहीं रखते वैसे ही भव-भव की यात्रा में हमें स्मृतियां बहुत कम रखनी चाहिए। मन को शांत करने के लिए नियमित श्वास प्रेक्षा का अभ्यास करें। रेखा बांठिया के मासखमण की तप अनुमोदना में तेरापंथ महिला मंडल ने गीतिका प्रस्तुत की। तेरापंथ सभा के मंत्री प्रकाश काकलिया ने साध्वी प्रमुखाश्री विश्रुतविभाजी के संदेश का वाचन किया। रोशन नाहर, सीमा मरलेचा, मधु बांठिया ने अपने विचार व्यक्त किए। पारिवारिक सदस्यों ने सुमधुर गीत के माध्यम से तपस्वी बहन का अनुमोदन किया।