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तप से निखरता बाह्य व आन्तरिक सौंदर्य
आचार्यश्री महाश्रमणजी की सुशिष्या साध्वी संयमलताजी ठाणा 4 के सान्निध्य में 'महका तप उपवन- मासखमण से' कार्यक्रम में सकल जैन समाज ने तपस्वियों की अनुमोदना की। साध्वी संयमलताजी ने कहा कि हरा आम डाल पर लटक रहा है उसमें न सुगन्ध है, न रस फिर भी उसे तोड़ पलाश के पत्तों के बीच रखा जाता है, उसके ताप से कोमलता, सुगन्ध व रस भी आ जाता है, आम मीठा व सरस हो जाता है। इसी प्रकार तप के तेज से जीवन सरस एवं तेजस्वी बनता है। आज ज्ञानशाला प्रशिक्षिका ललिता भंसाली ने मासखमण किया है। उसके साथ अर्हम आच्छा छोटे से बच्चे ने अपनी टीचर को गुरु दक्षिणा देते हुए 8 की तपस्या की। मूर्तिपुजक साध्वी संकल्पनिधिजी कार्यक्रम में पधारी, यह प्रसन्नता का विषय है। हम सब मिलकर जिनशासन की खूब प्रभावना करें। तप करने से अपना बाह्य व आन्तरिक सौंदर्य निखार पाता है।
साध्वी मनीषाप्रभा जी ने कहा- तपस्या से सिद्धियां, लब्धियां व उपलब्धियां प्राप्त होती है। वासुदेव, चक्रवर्ती एवं इन्द्र की शक्ति को भी हिलाने वाली शक्ति तप में होती हैं। साध्वी संकल्पनिधिजी म.सा. ने कहा जिस प्रकार चक्रवर्ती 6 खण्डों को जीतकर सम्राट बनता है। उसी प्रकार आत्मा रूपी चक्रवर्ती से 5 इन्द्रिय व मन रूपी छः खण्डों को तपस्या से जीत लेता है। दोनों तपस्वियों के लिए साध्वी संयमलता जी द्वारा रचित गीतों का संगान किया गया। बेंगलौर से पधारे प्रेक्षा संगीत सुधा के गायकों के संगीत ने सभा में समा बांध दिया। आच्छा परिवार व भंसाली परिवार ने रोचक प्रस्तुतियां दी। मूर्तिपूजक संघ से फ़ुटरमल जैन व स्थानवासी समाज से विजयराज तलेसरा ने तपस्वी की अनुमोदना की। इस विशिष्ट अवसर पर सभा में 30 तेले, 6 बेले एवं आयंबिल की अठाई से तप अनुमोदना में अपनी सहभागिता दर्ज कराई। स्वागत भाषण तेयुप अध्यक्ष कमलेश गोखरू ने किया। साध्वी मार्दवश्रीजी ने कार्यक्रम का कुशल संचालन किया। आभार ज्ञापन सभा मंत्री विनोद भंसाली ने किया।