बड़भागण लिन्हो जश अणपार

बड़भागण लिन्हो जश अणपार

ऊंचे भावां आदर्यो थे संथारो सुखकार, भिक्षु संघ में...
जीवन थांरो उजलो-२, ज्यूं समदर रा मोती,
गुरु किरपा स्यूं निशदिन जलती, श्रद्धा री आ ज्योति,
भिक्षु-२ नाम स्यूं, होसी निश्चित निस्तार, भिक्षु संघ में...
ॐ अर्हम् ॐ अर्हम् ॐ ॐ सुदृढ कवच बनावो,
आत्मा भिन्न शरीर भिन्न रो, निज में अनुभव पावो,
नहीं सहारो दूसरो, ओ ले जासी भवपार, भिक्षु संघ में...
अरिहन्तां री शरण सदा है, सिद्ध लक्ष्य आत्मा रा,
गुरु आपांरी आत्मप्रेरणा, भव स्यूं तारणहारा,
सजगता थांरी भली, जुड़सी अन्तर स्यूं तार, भिक्षु संघ में...
मन में समता तन में समता, समता में रम ज्यावै,
मंजिल उणरै पगां खड़ी है, आत्मशक्ति जद आवै,
बड़भागण लिन्हो जश अणपार ।।
तर्ज - चिरमी