दिल्ली में गूंज रह्यो थांरो जयकारो
चढ़ते भावां सूं सतिवर, धार लियो थे संथारो।
दिल्ली में गूंज रह्यो थांरो जयकारो।।
गुरु तुलसी सूं दीक्षा, शिक्षा प्रगति पथ पर सदा बढ्या,
महाप्रज रे शीतल अनुशासन में हरदम हर्या भर्या।
भागां सूं पायो, महाश्रमण बरतारो।।
उजली संयम साधना, देख्यो थांरो उजलो जीवन,
आपरी सन्निधि में जद आता खिल जातो चित्त मधुवन।
संयम रा साथी भगिनी परिकर थारो।।
यावज्जीवन खूब तप्या, अब अंतिम बाजी जीवन री,
लक्षित मंजिल पाओ सतिवर तोड़ श्रृंखला कर्मन री।
दीपेला नाम आपरो ज्यू ध्रुव तारो।।
साध्वी सुव्रतां जी सुमन प्रभा जी रो सहकार है,
कार्तिक, चिंतन सेवाभावी पाया शुभ संस्कार है।
संपूर्ण परिकर रो वंदन स्वीकारो ।।
तर्ज - घणा सुहावो