संथारे री महिमा अपरंपार

संथारे री महिमा अपरंपार

बढ़ता चढ़ता भावां स्यूं, सतिवर पचख्यो है संथारो।
राजधानी में संथारे री महिमा अपरंपार।।
दिल्ली में संथारे री महिमा अपार।।
समता झूले झूल रह्या शिव रमणी लागी प्रीत,
उजले भावां री श्रेणी बढ़ती जावै दिन रात।।
संथारे री सौरभ फैली देश विदेशां आज,
जुडग्यो मुक्ति स्यूं तार थांरो देखो सतिराज।।
निर्मल तन निर्मल मन थांरो भावां भावना राज,
राग द्वेष ने जीत्यां मिलसी मुक्ति रो ओ ताज।।
राम कुमारी करें कामना सुखे-सुखे भव पार,
गुरुवर महाश्रमण शासन अनशन री जयकार।।
तर्ज - म्हारी घूमर है नखराली