चांदी जैसा उजला जीवन

चांदी जैसा उजला जीवन

चांदी जैसा उजला जीवन, अम्बर सा सुविशाल।
करती हूं चरणों में वंदन दीपा मां के लाल।।
फौलादी शक्ति सागर का सावन घन उमड़ाया।
मन वीणा के झंकृत तारों ने स्वर गान सजाया।
बहा सुधा का स्रोत, कि आगम अनुशीलन से पाया।
नये तराशे हीरे पाकर तेरापंथ निहाल।।
अलबेले योगी ने मरघट में भी ज्योत जलाई।
रूका नहीं वो झुका नहीं, कंटीली राहें आई।
सिरियारी बगड़ी कंटालिया, दे रहा आज दुहाई।
बोधि स्थल अंधेरी ओरी के सहन किये भूचाल।।
विश्वासों की जली मशालें, अनुपम प्रज्ञा जागी।
बनी दीवानी दुनिया तेरे पंथ से बन अनुरागी।
नये कुशल अन्वेषक पाकर, जन-जन बने सौभागी।
मतभेदों की दूर हटाई जो थी दूर्ग दिवाल।।
नई उमंगे नई दिशाएं, फली कामना सारी।
अमृत वाणी आस्वादन से विकासित जन-जन क्यारी।
पुष्पित फलित बनी है देखो गण नंदन फुलवारी।
महातपस्वी महाश्रमण साये में चार तीरथ खुशहाल।।
लय - चांदी जैसा रूप